केंद्र सरकार ने 70 हाई कोर्ट जजों के नामों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा-

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सर्वोच्च अदालत ने देश के कई उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति में देरी पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से केंद्र सरकार झुक गई है।

इस मामले में सोमवार को कोर्ट में सुनवाई हुई है। केंद्र ने हाईकोर्ट जजों के लिए 70 नामों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम भेज दिया है। साथ ही साथ केंद्र मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुछ समय में नियुक्ति को भी तैयार हो गया है।

अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले कि सुनवाई 20 अक्टूबर को करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फिर चेताया है और कहा है कि हमें असमंजस में नहीं रहना चाहिए। यदि नाम सुझाए गए हैं, तो या तो नियुक्ति की जाए या केंद्र उन्हें अपनी चिंताओं के साथ वापस भेजे। कोर्ट ने कहा कि जो नाम दोहराए गए हैं वो या तो नियुक्ति हों या फिर कॉलेजियम को बताया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘क्योंकि रिक्तियां एक बड़ा मुद्दा’-

इससे पूर्व मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा था कि नवंबर 2022 से हाईकोर्ट कॉलेजियम से 70 नाम भेजे गए हैं, लेकिन वे हम तक नहीं पहुंचे हैं। बेंच ने कहा था कि हम इस मुद्दे को उठा रहे हैं क्योंकि रिक्तियां एक बड़ा मुद्दा है। पिछले 10 महीनों से उसे कोई नाम नहीं मिला है। सिफारिशें होती हैं और फिर नियुक्ति नहीं होती है।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा था कि उन्हें इस मामले में बहुत कुछ कहना है, लेकिन उन्होंने खुद को रोककर रखा हुआ है। वह इसलिए चुप हैं क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है, लेकिन वह अगली तारीख पर चुप नहीं रहने वाले हैं। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बेंच से कहा था कि वह सरकार से निर्देश लेंगे।

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सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछे थे ये सवाल-

सर्वोच्च अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा था कि सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा जजशिप के लिए सिफारिश किए गए 70 लोगों के नामों पर निर्णय क्यों नहीं लिया और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को क्यों नहीं भेजा? इसके अलावा, न्यायमूर्ति कौल ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए 9 नामों और 7 अन्य लोगों के नामों को मंजूरी नहीं देने के लिए भी केंद्र से सवाल किया था।

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