उच्च न्यायालय ने दो जजों की नियुक्तियां अवैध बताकर की रद्द-

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दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे –

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश संदीप शर्मा ने नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ और आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय Himanchal Pradesh High Court ने दो सिविल जजों Civil Judges की नियुक्तियां अवैध ठहराते हुए रद्द कर दी।

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश संदीप शर्मा ने नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ और आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया। दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे।

कोर्ट ने पाया कि नियुक्तियां उन पदों के खिलाफ  की गई, जिनका विज्ञापन नहीं दिया गया। बिना विज्ञापन पद भरने पर कोर्ट ने प्रदेश लोक सेवा आयोग को चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करे।

मामले के अनुसार 1 फरवरी 2013 को आयोग ने सिविल जजों के 8 पद भरने के लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए। इनमें 6 पद पहले से रिक्त थे और दो भविष्य में रिक्त होने थे।

आयोग Commission ने परिणाम निकालकर 8 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों की अनुशंसा सरकार से की और एक सिलेक्ट लिस्ट तैयार की। इस बीच दो सिविल जजों के अतिरिक्त पद सृजित किए।

आयोग ने इन दो पदों को सिलेक्ट लिस्ट से भरने की प्रक्रिया आरंभ की और विवेक और आकांक्षा को नियुक्ति देने की अनुशंसा की। सरकार ने इन्हें नियुक्ति भी दे दी।

कोर्ट ने दोनों नियुक्तियां रद्द करते हुए कहा कि नए सृजित पदों को कानूनन विज्ञापित करना जरूरी था, ताकि अन्य अभ्यर्थियों को भी मौका मिलता।

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कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन पदों को वर्ष 2021 की रिक्तियां माना जाए और इन्हें भरने की प्रक्रिया कानून के अनुसार करें।

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