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3.57 लाख सोयाबीन किसानों के फसल बीमा क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनी को Rs. 200 करोड़ छः सप्ताह में जमा करने का दिया आदेश-

अदालत ने कंपनी को छह सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में 200 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिए हैं. राशि जमा ना करने पर हाईकोर्ट के आदेश पर लगी रोक हट जाएगी.

उच्चतम न्यायलय ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस Bajaj Allianz General Insurance को महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के 3,57,287 किसानों को खरीफ सीजन 2020 में भारी वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल को हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के औरंगाबाद बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है.

शीर्ष अदालत ने सशर्त रोक लगाई है. अदालत ने कंपनी को छह सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में 200 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिए हैं. राशि जमा ना करने पर हाईकोर्ट के आदेश पर लगी रोक हट जाएगी. बॉम्बे हाईकोर्ट Bombay High Court ने बजाज आलियांज Bajaj Allianz को महाराष्ट्र में 357287 सोयाबीन SOYABEEN किसानों FARMERS को मुआवजा COMPENSATION देने का निर्देश दिया था.

ज्ञात हो की महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के किसानों को 2020 के खरीफ मौसम के दौरान भारी वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल का नुकसान हुआ है.

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट में बजाज आलियांज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विवेक तन्का ने कहा कि किसानों ने कंपनी को समय पर नुकसान की जानकारी नहीं दी. चूंकि नुकसान की ठीक से सूचना नहीं दी गई थी, इसलिए कंपनी के लिए वास्तविक नुकसान को सत्यापित करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. इससे कंपनी को 400 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा, जिससे गंभीर वित्तीय दबाव पड़ेगा.

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सर्वोच्च कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद बजाज आलियांज से रकम जमा करने को कहा. अदालत ने जोर देकर कहा कि वह अदालत को स्टे देने के लिए समान भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है. मई 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट BOMBAY HIGH COURT AURANGABAD BENCH की औरंगाबाद बेंच ने बजाज आलियांज को किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने नोट किया था कि अगर बीमा कंपनी किसानों को मुआवजा देने में विफल रहती है, तो राज्य सरकार को मुआवजा देना चाहिए.

मार्च 2021 में, राज्य सरकार ने बीमा कंपनी और अन्य प्राधिकरणों को सक्षम अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए नुकसान की रिपोर्ट के आधार पर किसानों के दावों को मंजूरी देने के लिए कहा था. बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश किसानों द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया गया था.

याचिकाओं में किसानों को फसल कटाई के बाद हुए नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कंपनी के कवरेज से इनकार करने को चुनौती दी गई थी. दलीलों में कहा गया है कि किसानों ने अपनी फसलों के बीमा कवरेज के लिए प्रीमियम का भुगतान किया है. यहां तक ​​कि सरकार ने भी किसानों की ओर से बीमा प्रीमियम का एक हिस्सा दिया था.

याचिकाकर्ताओं द्वारा अदालत को सूचित किया गया था कि बीमा कंपनी को उस्मानाबाद के किसानों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत प्रीमियम के रूप में 500 करोड़ मिले थे. बीमा कंपनी ने कथित तौर पर 87.87 करोड़ रुपये की कुल राशि का भुगतान करके 72,325 किसानों को मुआवजा दिया. लेकिन उसने इस आधार पर बड़ी संख्या में किसानों के दावों का भुगतान करने से इनकार कर दिया कि किसान कथित नुकसान की तारीख से 72 घंटों के भीतर बीमा कंपनी को सूचित करने में विफल रहे हैं. इसने उन्हें योजना के तहत इस तरह के लाभों से अयोग्य घोषित कर दिया. हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी के इस दावे को खारिज कर दिया कि किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के दायरे से बाहर राहत का दावा कर रहे हैं.

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उच्चतम न्यायलय ने अपने आदेश में कहा कि आक्षेपित निर्णय के संचालन पर रोक बीमा कंपनी द्वारा छह सप्ताह की अवधि के भीतर न्यायालय की रजिस्ट्री में 200 करोड़ रुपये की राशि जमा करने के अधीन होगी.

कोर्ट ने कहा की यदि आज से छह सप्ताह के भीतर राशि जमा नहीं की जाती है, तो कोर्ट को आगे संदर्भ के बिना, रोक का आदेश अपने आप वापस हो जाएगा.

केस टाइटल – मैसर्स बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम ज्ञानराज और अन्य
केस नंबर – Petition(s) for Special Leave to Appeal (C) No(s). 10391/2022
कोरम – न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली

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