न्यायमूर्ति यूयू ललित होंगे भारत के नए मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई रमना ने की सरकार से सिफारिश-

न्यायमूर्ति यूयू ललित होंगे भारत के नए मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई रमना ने की सरकार से सिफारिश-

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने आज अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति यूयू ललित को चुन लिया।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने सरकार से न्यायमूर्ति ललित को नया सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की है।

सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों के क्रम में न्यायमूर्ति रमना के बाद न्यायमूर्ति ललित का ही नाम आता है। इसलिए उन्हें ही उत्तराधिकारी चुना गया है। न्यायमूर्ति ललित देश के 49 वें प्रधान न्यायाधीश होंगे। सीजेआई रमना इसी अगस्त माह के 26 तारीख को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

न्यायमूर्ति रमना ने 24 अप्रैल 2021 को देश के 48वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपना पदभार संभाला था। उन्होंने अपने पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े की जगह ली थी। सीजेआई 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

न्यायमूर्ति ललित देश के अगले सीजेआई नियुक्त होने पर उनका कार्यकाल तीन महीने से भी कम का होगा, क्योंकि वह इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति यूयू ललित द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण निर्णय-

न्यायमूर्ति यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। तीन तलाक को असांविधानिक करार देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के भी सदस्य थे। न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था। यह सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।

न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने ही ‘स्किन टू स्किन टच’ पर फैसला दिया था। इस फैसले में माना गया था कि किसी बच्चे के शरीर के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा-7 के तहत ‘यौन हमला’ ही माना जाएगा। पॉक्सो अधिनियम के तहत दो मामलों में बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट का यह मानना गलती था कि चूंकि कोई प्रत्यक्ष ‘स्किन टू स्किन’ संपर्क नहीं था इसलिए यौन अपराध नहीं है।

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न्यायमूर्ति ललित उस पीठ में भी थे, जिसने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए निर्धारित छह महीने की प्रतीक्षा अवधि अनिवार्य नहीं है। हाल ही में न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के आरोप में चार महीने के कारावास और 2000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

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