पटना उच्च न्यायलय का सरकारी वकीलों को अल्टीमेटम, कहा जूनियर भेज कर अदालत का समय न करे बर्वाद-

पटना उच्च न्यायलय का सरकारी वकीलों को अल्टीमेटम, कहा जूनियर भेज कर अदालत का समय न करे बर्वाद-

पटना उच्च न्यायलय Patna High Court ने अपने एक निर्णय में कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि अक्सर गवर्नमेंट एडवोकेट्स Government Advocates अपने वाद में खुद न उपस्थित होकर अपने जूनियर को समय लेने भेज देते हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जूनियर वकीलों को बिना तैयारी के उनके सीनियर कोर्ट में भेज देते हैं, जिससे न्यायालय का समय जाया होता है।

न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की पीठ ने मो. रिजवान बनाम बिहार सरकार के मामले पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि सालों पुराने मामलों की सुनवाई में सरकारी वकील न तो कोर्ट में हाजिर होते हैं और जिन जूनियर को वे कोर्ट में भेजते हैं, वे बहस के लिए तैयार नहीं रहते हैं। कोर्ट ने कहा कि इसकी वजह से सालों पुराने मामले लंबित ही पड़े रहते हैं।

उक्त मामले में कोर्ट ने पाया कि सुनवाई में सरकारी वकील तो नहीं आ सके और जब सहायक (जूनियर) वकील कोर्ट को संतोषजनक जवाब नहीं दे सके तो अदालत को मामले की सुनवाई टालनी पड़ी। जब कोर्ट चार साल पुराने मामले की सुनवाई कर रहा था तब रिट याचिकाकर्ता के वकील ने बहस की लेकिन राज्य सरकार State Govt. Council के वकील की जगह उनके जूनियर ने मामले को स्थगित करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने सहायक सरकारी वकील को बहस करने के लिए कहा लेकिन उनके बहस के लिए तैयार नहीं होने के कारण समय देने का अनुरोध किया गया।

कोर्ट ने कहा कि आए दिन अधिकांश मामले सरकारी वकीलों के ऐसे ही रवैये के कारण लंबित रहते हैं। न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि राज्य सरकार को अपने वकीलों के पैनल में फेरबदल करनी चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को अपने पैनल में फेर बदल करते हुए केवल उन लोगों को ही सरकारी वकील नियुक्त करना चाहिए जो कोर्ट को कानूनी मदद देकर मामले को निष्पादित करने के लिए तैयार हों। हाई कोर्ट ने अपने आदेश की प्रति महाधिवक्ता कार्यालय और मुख्य सचिव को प्रेषित करने का भी निर्देश रजिस्ट्री को दिया है।

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महाधिवक्ता बिहार ने जारी किया नोटिस-

हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में महाधिवक्ता ललित किशोर Advocate General Lalit Kishore ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी सरकारी वकीलों को नोटिस जारी कर निर्देश दिया कि सरकारी वकील अपने मामले की सुनवाई में स्वयं हाजिर रहें। अगर किसी परिस्थिति में वे खुद हाजिर न हो सकें तो वे अपने जूनियर को बहस की पूरी तैयारी के साथ भेजें। पटना हाईकोर्ट के तीनों वकील संघों के समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य सरकार पैरवी की जगह सिर्फ मेरिट के आधार पर हाई कोर्ट के लिए नए सरकारी वकीलों का पैनल नियुक्ति नियमावली के तहत तैयार करे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी पिछले साल ये बात कहीं थी-

इसी तरह के कार्यप्रणाली में पिछले वर्ष जुलाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह सभी विभागों, निगमों, प्राधिकरणों को निर्देशित करें कि उनके द्वारा नियुक्त वकील अदालत में सुनवाई के समय बहस के लिए स्वयं मौजूद रहें. वह अपने जूनियर, सहयोगी या मित्र को पक्ष रखने के लिए न भेजें। कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखा जा रहा है कि विभागों, निगमों, प्राधिकरणों, विश्वविद्यालयों के नियुक्त वकील कोर्ट में स्वयं न आकर दूसरे को ब्रीफ देकर भेजते हैं, जो सही नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्राधिकरण के अधिवक्ता की तरफ से अधिवक्ता सूर्यभान सिंह बहस के लिए आए। उन्होंने कहा कि वह सत्यम सिंह का ब्रीफ होल्ड कर रहे हैं। प्राधिकरण के वकील स्वयं नहीं आये, जिसे कोर्ट ने राज्य के लिए अफसोसनाक करार दिया और प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति 72 घंटे में मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है।

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