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Pegasus spyware Case: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए बनाई कमेटी, कहा – याचिकाओं से अदालत सहमत नहीं, लेकिन न्याय जरूरी-

Pegasus spyware मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. इस समिति में पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति जज आरवी रविंद्रन, आईपीएस आलोक जोशी, संदीप ओबेराय के अलावा तीन तकनीकी सदस्य शामिल होंगे.

पेगासस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच होगी या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई.

पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus spyware) मामले में कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया.

सीजेआई ने फैसला देते हुए कहा कि आरोपों में तकनीक के दुरूपयोग को लेकर अदालत इस मामले में सभी मूल अधिकारों का संरक्षण करेगी. उन्होंने कहा कि आरोपों में तकनीक के दुरूपयोग को लेकर अदालत इस मामले में सभी मूल अधिकारों का संरक्षण करेगी. जिन लोगों के अधिकार में हनन हुआ है और निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है. उसका ध्यान रखते हुए अदालत का मानना है कि तकनीक सुविधा के साथ नुकसान का साधन बन सकती है जिससे निजता का उल्लंघन हो सकता है और अन्य मूल अधिकार प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में जीवन और स्वतंत्रता के मद्देनजर ऩिजता के अधिकार का ध्यान रखने के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखेगी.

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया न्यायमूर्ति एनवी रमना ने कहा कि अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता और प्रेस कि स्वतंत्रता लोकतंत्र में अहम है. उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाली याचिकाओं से अदालत सहमत नही है. सरकार की ओर से कहा गया कि ये याचिकाएं अखबारों में छपी खबरों पर आधारित है और मामले में हस्तक्षेप नहीं करने कि गुजारिश की गई. कोर्ट की तरफ से कई बार जवाब मांगे जाने के बाद भी व्यापक हलफनामा सरकार ने नहीं दाखिल किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामले को ध्यान में रखते हुए अदालत आरोपों कों परखने के लिए कदम उठाएगी. अदालत विशेष समिति का गठन कर रही है ताकि सच सामने आए. इस समिति में पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज आरवी रविंद्रन, आईपीएस आलोक जोशी, संदीप ओबेराय और इसके अलावा तीन तकनीकी सदस्य शामिल होंगे.

तकनीकी समिति में तीन सदस्य-

जस्टिस रविंद्रन के नेतृत्व में साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक एक्सपर्ट, आईटी और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी काम करेगी. तकनीकी समिति में तीन सदस्य शामिल होंगे:

1-डॉ नवीन कुमार चौधरी, प्रोफेसर (साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात.
2- डॉ प्रबहारन पी., प्रोफेसर (इंजीनियरिंग स्कूल), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल.
3 – डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते, संस्थान के अध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे, महाराष्ट्र.

नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण-

आज पेगासस स्पाइवेयर मामले में CJI ने CJI जॉर्ज ऑरवेल के एक उद्धरण को पढ़कर आदेश सुनाना शुरू किया. उन्होंने कहा, “अगर आप एक रहस्य रखना चाहते हैं, तो आपको इसे अपने आप से भी छिपाना होगा.” सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कुछ याचिकाकर्ता पेगासस के प्रत्यक्ष शिकार हैं; ऐसी तकनीक के उपयोग पर गंभीरता से विचार करना केंद्र का दायित्व है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सूचना के युग में रहते हैं और हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है. पर न केवल पत्रकारों के लिए बल्कि सभी नागरिकों के लिए निजता के अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण है.

विशेषज्ञ समिति का काम सर्वोच्च न्यायलय देखेगा-

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि शुरुआत में जब याचिकाएं दायर की गईं तो अदालत अखबारों की रिपोर्टों के आधार पर दायर याचिकाओं से संतुष्ट नहीं थी. हालांकि, सीधे पीड़ित लोगों द्वारा भी कई याचिकाएं दायर की गईं. पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मुद्दे पर केंद्र की तरफ से कोई विशेष खंडन नहीं किया गया है, ऐसे में हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इस मामले की जांच के लिए हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका काम सुप्रीम कोर्ट देखेगा.

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