सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी को वेश्या कहने पर पति की हत्या मर्डर नहीं-

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सर्वोच्च अदालत ने इसे हत्या की जगह गैर इरादतन हत्या का मामला माना है-

शीर्ष न्यायलय ने पति द्वारा पत्नी और उसकी बेटी को वेश्या कहे जाने की वजह से हत्या के मामले में बड़ा फैसला दिया है-

गर कोई महिला अपने पति की हत्या कर दे तो क्या ये मुमकिन है कि पत्नी हत्या की दोषी नहीं मानी जाएगी,या उस पर मर्डर केस नहीं चलेगा? सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा फैसले के बाद तो कुछ ऐसा ही है।दरअसल सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर कोई पति अपनी पत्नी को वेश्या कहता है तो इसे भड़काने वाली कार्रवाई माना जाएग।इस दौरान यदि पत्नी के हाथों पति की हत्या हो जाती है तो उसे गैर इरादतन हत्या माना जाएगा।

Supreme Court of INDIA सर्वोच्च न्यायलय ने पति द्वारा पत्नी और उसकी बेटी को वेश्या कहे जाने की वजह से हत्या के मामले में बड़ा फैसला दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति ने अपनी पत्नी और बेटी को वेश्या कहा जिसकी वजह से गुस्से में पत्नी ने पति की हत्या कर दी, ऐसे में यह हत्या नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या है। कोर्ट ने कहा कि पति ने पत्नी और बेटी को वेश्या कहा था जिसकी वजह से एकदम से पत्नी ने गुस्से में पति पर हमला बोला और उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी है। 

केस विवरण-

दरअसल इस केस का बैकग्राउंड 17 साल पुराना है। बात तमिलनाडु के ऊटी की है। जहां एक पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो रहा था। तभी उस मकान में रहने वाला नवाज नाम का शख्स भी मौके पर पहुंच गया। इस दौरान पति ने महिला और बेटी को वेश्या कहना शुरू कर दिया। जिसके बाद मौके पर मौजूद नवाज ने पति को थप्पड़ मार दिया जिससे वो बेहोश हो गया। बेहोशी के दौरान ही पत्नी ने अपने कथित प्रेमी के साथ मिलकर पति की गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं सबूत मिटाने के लिए दोनों ने मिलकर हत्या के बाद पति के शव को एक दोस्त की कार में बंद कर दिया गया था। 40 दिन बाद पुलिस को पति का शव मिला था।

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घटना के 40 दिनों बाद आरोपी महिला ने सारी बात एक टीचर को बताई। मामला अदालत पहुंचा, महिला और उसके कथित प्रेमी को सजा भी सुना दी गई।लेकिन कुछ समय बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद अब ताजा फैसला आया।

आरोपी महिला ने कबूला अपना गुनाह-

घटना के बाद महिला ने खुद अपना गुनाह कबूल किया था। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने महिला और उसके प्रेमी को हत्या का दोषी माना था।

ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने दोषी माना –

इस मामले में ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने आरोपी महिला और उसके कथित प्रेमी को हत्या का दोषी माना और दफा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत सजा सुनाई । 

The appellants herein were charged, tried and convicted for offences punishable under Section 302 read with Section 34 and Section 201 of the Indian Penal Code (hereinafter ‘IPC’). The High Court confirmed the judgment of conviction passed by the Trial Court and hence they are in appeal before us.

सुप्रीम कोर्ट गैर इरादतन हत्या का मामला माना-

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मोहन एम शांतानागोदर और दिनेश माहेश्वरी ने सुनवाई करते हुए कहा कि अश्लील भाषा की वजह से महिला को एकदम से गुस्सा आ गया और महिला ने अपना नियंत्रण खो दिया और महज कुछ ही मिनटों में पति की हत्या कर दी गई। मृत पति ने पत्नी को वेश्या कहकर उकसाया था। 

  1. Having regard to the totality of the facts and circumstances of the case, the following orders are made:-
    (A) The judgments of the Trial Court in S.C. 10/2005 and the High Court in Criminal Appeal Nos. 563/2007 and 599/2007 convicting the accused for offence punishable under Section 302 of IPC stands modified and the accused are hereby convicted under Section 304 Part I of IPC and sentenced to rigorous imprisonment for a term of ten years. Sentence imposed on the accused under Section 304 Part I and Section 201 IPC shall run concurrently. The accused will have the benefit of set off of the period already undergone in prison.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमारे समाज में कोई भी महिला अपने बारे में पति द्वारा इस तरह के शब्द को बर्दाश्त नहीं करेगी। यही नहीं कोई भी महिला खासतौर पर अपनी बेटी के लिए इस तरह के शब्द का तो कतई इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं करेगी। यह घटना एकदम से भड़काने वाला वाला मामला है। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में उम्र कैद की सजा को 10 साल की सजा में बदल दिया और इसे हत्या की जगह गैर इरादतन हत्या का मामला माना है।  

Case Title – NAWAZ Versus THE STATE REP. BY INSPECTOR OF POLICE

CRIMINAL APPEAL NO. 1941/2010 Criminal Appeal No. 2153/2013

CORAM – Hon’ble Justice MOHAN M. SHANTANAGOUDAR Hon’ble Justice DINESH MAHESHWARI

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