चोर जो दो महीने तक जज बनकर अदालत में सुनाता रहा फैसला, अपने मामले में की सुनवाई और हजारों कैदियों को जमानत पर किया रिहा

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चोरी के बाद अदालती कार्रवाई से बचने के लिए धनीराम मित्तल ने राजस्थान से एलएलबी की डिग्री हासिल की। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की पढ़ाई की। इतना ही नहीं, कानूनी शिकंजे से बचने के लिए उसने ग्राफोलॉजी की भी पढ़ाई की। यह सब धनीराम मित्तल ने केवल इसलिए किया​ कि वो वाहन चोरी करने के बाद फर्जी कागजात बनाने के अपने कौशल के दम पर पुलिस और अदालत के चक्करों से बच सके।

धनीराम मित्तल को देश का सबसे बड़ा चोर कहा जाता है। 5 दशक से ज्यादा समय तक ये शख्स चोरी और धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देता रहा। अपने फर्जीवाड़ा के फन से ये स्टेशन मास्टर से लेकर जज की कुर्सी पर भी बैठ चुका है। धनीराम मित्तल को सबसे ज्यादा सुर्खियों तब मिली जब उसने जज बनकर अपने ऊपर चल रहे केस में ही फैसला सुनाया, साथ ही 40 दिनों के अंदर हजारों कैदियों को जमानत पर छोड़ दिया।

चोरी के बाद अदालती कार्रवाई से बचने के लिए धनीराम मित्तल ने राजस्थान से एलएलबी की डिग्री हासिल की। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की पढ़ाई की। इतना ही नहीं, कानूनी शिकंजे से बचने के लिए उसने ग्राफोलॉजी की भी पढ़ाई की। यह सब धनीराम मित्तल ने केवल इसलिए किया​ कि वो वाहन चोरी करने के बाद फर्जी कागजात बनाने के अपने कौशल के दम पर पुलिस और अदालत के चक्करों से बच सके।

चोरी में रिकॉर्ड कायम कर चुका चोर का मन, जब चोरी से ऊब गया तो उसने जज की कुर्सी पर ही बैठने का फैसला कर लिया। यही नहीं वो जज की कुर्सी पर बैठ भी गया, वो भी एक-दो दिन नहीं, चोर दो महीने से ज्यादा समय तक जज की कुर्सी पर बैठा रहा और फैसला सुनाते रहा। मतलब जिस चोर को कठघरे में खड़ा रहना चाहिए था, वो जज की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुना रहा था।

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ये सच्ची कहानी है हरियाणा में पैदा हुए धनीराम मित्तल की। इसके कई नाम हैं। कोई इसे भारत का चार्ल्स शोभराज कहता है तो कई इसे हिन्दुस्तान का सबसे शातिर ठग कहते हैं। कारनामे ऐसे-ऐसे कि सुनकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इसने ज्यादातर चोरियां दिन के उजाले में की है। ये इतना शातिर है कि कोर्ट से ही गायब हो जाता था और किसी को पता नहीं चलता था, सुनवाई के लिए कोर्ट आता और वहीं से कार चुरा ले जाता।

कहां से हुई शुरूआत- 1939 में पैदा हुए धनीराम के बारे में कहा जाता है कि वो पढ़ने में काफी तेज था, लेकिन उसने पढ़ाई से ज्यादा अपना दिमाग गलत दुनिया में लगा दिया। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद उसका मन रेलवे की नौकरी करने का हुआ तो उसने फर्जी कागज बनाया और स्टेशन मास्टर बन कर बैठ गया। बाद में पोल खुली तो फरार हो गया। तब तक वह जुर्म की दुनिया में कदम रख चुका था और गाड़ियों की चोरी करने लगा था।

जब जज ने निकाला- धनीराम के बारे में एक और कहानी बहुत चर्चित है कि एक बार जब उसे पेशी के लिए पुलिस कोर्ट ले गई। तब जज साहब ने उसे कोर्ट से ही बाहर निकाल दिया, दरअसल जज साहब कई बार धनीराम को पेशी के दौरान देख चुके थे, हर बार अलग-अलग मामलों में पुलिस धनीराम को कोर्ट में पेश करती रहती थी। जब एक बार फिर जज साहब ने धनीराम को देखा तो गुस्से में कोर्ट से बाहर जाने के लिए बोल दिया। धनीराम ने अपने शातिर दिमाग का प्रयोग किया और वहां से नौ दो ग्यारह हो गया। पेशी के लिए जब धनीराम का नाम पुकारा गया, तब तक वो फरार हो चुका था।

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कानून की पढ़ाई- जब इस शातिर चोर का अदालतों और थानों का चक्कर लगने लगा तो इसने खुद कानून की पढ़ाई करने के लिए सोचा। इसने चोरी करते हुए ही एलएलबी की पढ़ाई की, हैंड राइटिंग एक्सपर्ट बना। कानून की पढ़ाई उसने राजस्थान से और हैंडराइटिंग की पढ़ाई कोलकता से की थी। कानून की पढ़ाई के बाद वो अपना केस तो खुद देखता ही था, इसके साथ ही साथी चोरों को भी कानून से बचने के टिप्स देता था। इसी पढ़ाई और हैंड राइटिंग एक्सपर्ट के सहारे उसने कई फर्जीवाड़े को अंजाम भी दिया।

जब बन गया जज- धनीराम की चोरी की आदत कभी नहीं गई, कई पुलिस वाले आए और गए, धनीराम कई बार जेल गया और बाहर आ गया, लेकिन चोरी और फर्जीवाड़े का धंधा उसने बंद नहीं किया। एक समय बाद जब उसका चोरी से मन ऊब गया तो उसने कुछ नया करने का का सोचा। एक फर्जी कागज तैयार किया और झज्जर कोर्ट के जज को छुट्टी पर भेज दिया।

जज साहब छुट्टी पर गए और वो उनकी कुर्सी पर बैठ गया। मिडिया सूत्रों के अनुसार पुलिस ने बताया कि वो दो महीने से भी ज्यादा समय तक जज की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाते रहा। इस दौरान कहा जाता है कि इसने सैंकड़ों बदमाशों को जमानत पर रिहा कर दिया था।

वर्ष 2016 में आखिरी बार हुआ था गिरफ्तार-

83 वर्षीय धनीराम में एक बात और है जिसकी चर्चा होती है। वह वाहन चोरी की घटना को रात में कभी अंजाम नहीं देता था, लेनिक अपने उम्र की वजह से धनीराम इस मामले में कमजोर पड़ने लगा, उसका नेटवर्क कमजोर हो गया। वह 1964 से वाहन चोरी की घटना अंजाम देता आ रहा था, लेकिन आखिरी बार वह 2016 में उस समय पकड़ा गया ज​ब उसे दिल्ली में एक साथ तीन गाड़ियों को चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।

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धनीराम मित्तल जुर्म की दुनिया में करीब 50 साल से ज्यादा का समय बिता चुका है। शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो लेकिन दिमाग आज भी उसका शातिर ही है। हजारों गाड़ियां चुरा चुका है, कई बार जेल जा चुका है, लेकिन चोरी की लत उसकी गई नहीं है।

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