Railway Claim Scandal: तीन वकील गिरफ्तार वर्ष 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक क्लेम घोटाले में है हाथ

Railway Claim Scandal: तीन वकील गिरफ्तार वर्ष 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक क्लेम घोटाले में है हाथ

Railway Claim Scandal : मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में इस कार्रवाई के बाद ईडी ने तीन अधिवक्ताओं को गिरफ्तार किया है। रेलवे क्लेम घोटाले में पटना, नालंदा और मंगलुरु समेत चार स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने एक साथ छापामारी की थी।

इसमें परमानंद सिंह, विद्यानंद सिंह और विजय कुमार का नाम शामिल है। तीनों अधिवक्ताओं को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने इन्हें विशेष न्यायालय (पीएमएलए) के समक्ष पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया।

जानकारी हो की 2015-2018 के बीच सौ करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े से जुड़ा है यह मामला।

इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला-

  • निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार एवं अन्य के खिलाफ आइपीसी, 1860 और पीसी एक्ट, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत रेलवे दावा न्यायाधिकरण, पटना (आरसीटी) में दायर अनियमितता और अपराध के संबंध में CBI पटना में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी।
  • जांच में यह पाया गया कि इस आपराधिक साजिश में आकस्मिक मृत्यु, दावा मामलों में दावेदारों को दी गई राशि का केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को मिला। जबकि, बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया।
  • ईडी की जांच से पता चला है कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और एडवोकेट विजय कुमार सहित उनके वकीलों की टीम ने लगभग 900 मामलों को निपटाया। इन मामलों का निपटारा न्यायाधीश आर.के. मित्तल ने आदेश जारी कर किया।

गिरफ्तार करने के बाद ED ने आरोपियों को विशेष न्यायालय (PMLA) के समक्ष पेश किया जहां से इन्हें जेल भेज दिया गया है।

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राशि का बड़ा हिस्सा हड़पने के मामले में हुई थी छापेमारी-

प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार ED ने रेलवे के अज्ञात लोक सेवकों विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार और अन्य के खिलाफ IPC, 1860 और PC एक्ट, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत रेलवे दावा न्यायाधिकरण, पटना (RCT) में दायर, अनियमितता और अपराध के संबंध में CBI पटना में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी। जांच में यह प्रमाण पाया गया कि इस आपराधिक साजिश में आकस्मिक मृत्यु, दावा मामलों में दावेदारों को दी गयी राशि का केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को मिला, जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया।

अपने खाते में राशि ट्रांसफर करा लिए थे वकील-

ED की जांच से पता चला है कि वकील विद्यानंद सिंह और परमानंद सिन्हा और वकील विजय कुमार सहित उनके वकीलों की टीम ने लगभग 900 मामलों को निबटाया। इसका निबटारा न्यायाधीश आरके मित्तल ने आदेश जारी कर किया। दावेदारों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था। यह पता चला है कि वकील विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया और इन दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का उपयोग करके रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में स्थानांतरित कर लिया या नकद निकाल लिया।

कई रिकॉर्ड हुए बरामद, आगे की जांच जारी-

ED को अपनी जांच और तलाशी के दौरान वकीलों और जज द्वारा उनके नाम पर अर्जित संपत्तियों की जानकारी मिली। यही नहीं दावेदारों द्वारा हस्ताक्षरित खाली बैंक चेक और साइन किये गये खाली कागजात सहित भौतिक और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद हुए। फिलहाल आगे की जांच जारी है।

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