सुप्रीम कोर्ट ने ‘मौत की सजा’ पाए हत्या के आरोपी चंद्रभान सुदाम सनप को अभियोजन पक्ष के मामले में “बड़ी खामियों” के कारण किया बरी

सुप्रीम कोर्ट ने 'मौत की सजा' पाए हत्या के आरोपी चंद्रभान सुदाम सनप को अभियोजन पक्ष के मामले में "बड़ी खामियों" के कारण किया बरी

शीर्ष कोर्ट के फैसले को लेकर पीड़िता के पिता ने निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि हम अब सब कुछ भगवान पर छोड़ रहे हैं। अब हम कुछ और नहीं कर सकते। अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मेरी बेटी वापस नहीं मिलेगी।

23 वर्षीय एस्तेर अनुह्या कांजुर मार्ग के पास 16 जनवरी 2014 को मृत पाई गई थी। ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास झाड़ियों में उसका जला हुआ और सड़ा शव मिला था।

उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंद्रभान सुदाम सनप को बरी कर दिया।

आंध्र प्रदेश की 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कथित हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाने वाले व्यक्ति को बरी कर दिया। शीर्ष कोर्ट के फैसले को लेकर पीड़िता के पिता ने निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि हम अब सब कुछ भगवान पर छोड़ रहे हैं। अब हम कुछ और नहीं कर सकते। अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मेरी बेटी वापस नहीं मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कथित हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए अभियोजन मामले में ‘बड़ी खामियां’ देखते हुए मौत की सजा पाए व्यक्ति को बरी कर दिया था।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर चंद्रभान सुदाम सनप के खिलाफ दोषसिद्धि को बरकरार रखना बेहद असुरक्षित होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पीड़िता के पिता ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं? हमें पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि आरोपी सनप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन हम क्या करें? मैं इसे भगवान पर छोड़ता हूं। अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मेरी बेटी वापस नहीं मिलेगी।

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उन्होंने कहा कि जिला अदालत, विशेष अदालत और महिला अदालत ने मेरी बेटी के हत्यारोपी सनप को दोषी ठहराया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश बरकरार रखा, लेकिन पता नहीं सर्वोच्च न्यायालय में क्या हुआ? 10 साल पहले की बात है। क्या कहूं? 10 साल पहले हमें लगा था कि कुछ न्याय हुआ है। अब यह पूरी तरह बदल गया है। मुझे कारण नहीं पता। मैं फिर से 10 साल पहले के अपने दुख भरे दिनों को याद करता हूं कि कैसे मैंने मुंबई में कष्ट झेले थे।

मृतका के पिता ने मुंबई पुलिस की सराहना की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बहुत सावधानी बरती। पुलिस ने क्राइम सीन को रिक्रिएट किया। पुलिस को आरोपी के घर से मेरी बेटी का पहचान पत्र और अन्य सामान भी मिला था। चूंकि कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। इसलिए पुलिस ने पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य एकत्र किए और सही व्यक्ति को गिरफ्तार किया।

उन्होंने कहा कि मैं अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता क्योंकि मैं अपने आखिरी दिन शांति से बिताना चाहता हूं।

मैं सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने में असमर्थ हूं। समस्या यह है कि मैं 70 साल से अधिक उम्र का हूं। मेरे लिए अपने घर से हिलना-डुलना बहुत मुश्किल है। मैं एक सेवानिवृत्त व्यक्ति हूं और मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं है, वह मधुमेह की रोगी है।

ज्ञात हो की 10 वर्ष पहले आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम की एक 23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर क्रिसमस की छुट्टी के बाद 5 जनवरी, 2014 को मुंबई लौटी और मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर ट्रेन से उतरी, जहां उसे आखिरी बार जीवित देखा गया था। सेलफोन पर उससे संपर्क करने के कई बार असफल प्रयासों के बाद, उसके पिता ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। करीब 10 दिनों तक चली खोजबीन के बाद, कंजुरमार्ग इलाके में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के पास झाड़ियों में एक जला हुआ और सड़ा शव मिला। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में चंद्रभान सुदाम सनप को गिरफ्तार किया और उस पर तकनीकी विशेषज्ञ के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया।

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