शादी के बहाने महिला से बलात्कार (Rape) करने के आरोपी व्यक्ति को सर्वोच्च अदालत ने गिरफ्तारी से अंतरिम छूट दे दी है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने उच्च न्यायालय (High Court) के आदेश के खिलाफ दायर व्यक्ति की अपील पर राजस्थान सरकार और अन्य को नोटिस जारी किये.
सर्वोच्च अदालत पीठ ने छह दिसंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘नोटिस जारी कीजिए जिसका जवाब तीन हफ्ते के अंदर दाखिल किया जाए. शर्त यह है कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो और अधिकारियों के साथ सहयोग करे. सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाए.’’
बहरहाल, शीर्ष अदालत ने पुलिस को छूट दी कि इस अंतरिम आदेश पर रोक के लिए वह अपील दायर कर सकती है. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुई वकील नमिता सक्सेना ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ बलात्कार के आरोप निराधार हैं. सक्सेना ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ फर्जी आरोप लगाए गए हैं क्योंकि उन्होंने महिला से शादी करने से इंकार कर दिया.
मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया–
उच्चतम न्यायालय ने जयपुर में टेक्निशियन ग्रेड Technician Grade एक के पद पर कार्यरत मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया. उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत की उनकी याचिका खारिज करने को चुनौती दी थी. याचिका के अनुसार सिंह की दस वर्ष पहले काम के सिलसिले में शिकायतकर्ता से मुलाकात हुई और फिर दोनों फोन एवं संदेश के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में रहे और नियमित तौर पर मिलते भी थे.
निराधार आरोपों पर यह प्राथमिकी दायर की है–
सिंह की शादी छह अगस्त 2021 को उनके माता-पिता ने तय की. शिकायतकर्ता को जब इस बारे में पता चला तो उसने उन्हें ब्लैकमेल Blackmail करना शुरू कर दिया और शादी करने के लिए दबाव डाला. साथ ही चेतावनी दी कि वह उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करा देगी. याचिका में बताया गया है कि बाद में शिकायतकर्ता ने जयपुर में अक्टूबर में सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया.
याचिक के अनुसार शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के साथ 10 साल पुराने रिश्तों के बाद निराधार आरोपों पर यह प्राथमिकी दायर की है.