सुप्रीम कोर्ट: दवा कंपनियों की अनैतिक मार्केटिंग के खिलाफ केंद्र को नोटिस, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के साथ साठगांठ का आरोप-

सुप्रीम कोर्ट: दवा कंपनियों की अनैतिक मार्केटिंग के खिलाफ केंद्र को नोटिस, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के साथ साठगांठ का आरोप-

सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों के नुस्खे में हेरफेर करने और उनके द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं की सिफारिश करने के लिए दिए जाने वाले कथित मुफ्त उपहारों पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें सोने के सिक्के, फ्रिज, एलसीडी टीवी, विदेशों में छुट्टियां मनाने के लिए बड़े पैकेज और अन्य वित्तीय सहायता शामिल हैं।

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने Medicine Companies मेडिसिन कंपनियों द्वारा Illegal Marketing अनैतिक मार्केटिंग के आरोप वाली एक याचिका पर शुक्रवार को Central government केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

याचिका में Pharmaceutical Companies फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा Medical Practitioners स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ मिलीभगत के तहत Illegal Marketing अनैतिक मार्केटिंग का आरोप लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक या तर्कहीन दवाएं लिखी जाती हैं।

प्रस्तुत याचिका में कहा गया है कि अनैतिक विपणन प्रथाओं के कारण ही महंगी दवाओं को खाने की सलाह दी जाती है, जो नागरिकों के स्वास्थ्य व जीवन के अधिकार को प्रभावित करती है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने याचिकाकर्ता Federation of Medical Sales Representative Association of INDIA फेडरेशन ऑफ मेडिकल, सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख की दलीलें सुनने के बाद केंद्र से जवाब मांगा है।

याचिका में फार्मास्युटिकल विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह उचित समय है जब स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करने में कमी को तत्काल एक उपयुक्त कानून द्वारा भरा जाए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि कैसे फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भ्रष्टाचार ने सकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों और रोगियों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है।

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इससे पहले 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों के नुस्खे में हेरफेर करने और उनके द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं की सिफारिश करने के लिए दिए जाने वाले कथित मुफ्त उपहारों पर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें सोने के सिक्के, फ्रिज, एलसीडी टीवी, विदेशों में छुट्टियां मनाने के लिए बड़े पैकेज और अन्य वित्तीय सहायता शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, शीर्ष अदालत ने माना कि कंपनियां प्रोत्साहन देने में किए गए खर्च पर कर छूट का दावा करने की हकदार नहीं हैं, बल्कि इसे उनकी आय का हिस्सा माना जाएगा।

वैधानिक संहिता बनाने की मांग-

याचिका में कहा गया है कि इस तरह के उल्लंघन अक्सर होने लगे हैं और धीरे-धीरे ये अधिक व्यापक होते जा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि लोगों के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए इस तरह की प्रथाओं को रोकने के लिए दंडात्मक परिणामों के साथ दवा उद्योग के लिए नैतिक विपणन की एक वैधानिक संहिता बनाई जानी चाहिए।

याचिका में तर्क दिया गया कि मौजूदा कोड की स्वैच्छिक प्रकृति के कारण Illegal Marketing अनुचित मार्केटिंग बढ़ती रही और COVID-19 कोविड-19 के दौरान भी ये सामने आई हैं। इसके विपरीत अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, इटली, यूके, वेनेजुएला, अर्जेंटीना, रूस, चीन, हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, फिलीपीन, मलेशिया और ताइवान सहित कई देशों ने दवा क्षेत्र में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं।

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