कर्नाटक उच्च न्यायलय ने दो वकीलों को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया और सजा सुनाई थी क्योकि उनके द्वारा विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट की ओर से दो वकीलों को सुनाई गई दो माह की जेल की सजा के आदेश को ख़ारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने यह सजा विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी और उनके सहयोगियों के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल करने के लिए अदालत की अवमानना के लिए सुनाई थी।
क्या था मामला-
जानकारी हो की कर्नाटक हाई कोर्ट में जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस केएस हेमलेका की खंडपीठ ने अपने फैसले में दोनों आरोपियों अधिवक्ता आर सुब्रमण्यम और पी सदानंद पर अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 12 (1) के प्रावधानों के तहत 2000 रुपए का जुर्माना लगाया और दो महीने के जेल की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने अभियुक्तों को शिकायतकर्ताओं और उनकी कंपनियों के समूह के खिलाफ किसी भी अदालत या कानूनी प्राधिकरण के समक्ष कोई भी कानूनी कार्यवाही शुरू करने से भी रोक दिया।
अधिवक्ता आर सुब्रमण्यम और पी सदानंद ने ‘इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपैरेंसी’ नामक एक निजी कंपनी के जरिए अजीम भाई प्रेमजी के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दायर की थीं। हाईकोर्ट ने दोनों को 14 जनवरी को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया था और दो-दो महीने कारावास की सजा सुनाई थी।
न्यायाधीश एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने अधिवक्ता आर सुब्रमण्यम की इस दलील पर गौर किया कि वह दो सप्ताह के भीतर कर्नाटक हाई कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगेंगे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम के आचरण को देखने के लिए तीन साल के लिए उनकी सजा निलंबित कर दी।
कोर्ट ने कहा, हमें हाईकोर्ट का फैसला तथ्य और कानून पर सही है और हमें उसके गुण-दोष पर जरा भी संदेह नहीं है। लेकिन, अपीलकर्ता ने हमें सफलतापूर्वक ये समझाने की कोशिश की है कि वह एक अलग राह पर चलना चाहता है और उस पहली पर हमने आपराधिक अपीव व संबंधित मामलों पर ध्यान दिया है।
सर्वोच्च न्यायलय ने सुब्रमण्यम के आचरण को देखने के लिए तीन साल के लिए उनकी सजा निलंबित कर दी।