न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने लखनऊ स्थित सहारा इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट लिमिटेड और चिकत्सकों की याचिका को ख़ारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा की आयोग ने डॉक्टरों द्वारा इलाज में लापरवाही के सम्बन्ध में विशिष्ट निष्कर्ष आदेश में दर्ज किया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) के आदेश में दखल देने का कारण नजर में नहीं आता है इस कारण से याचिका ख़ारिज की जाती है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) ने मरीज के इलाज में लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया। आयोग ने सुनवाई करते हुए सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर लाखों का जुर्माना ठोंका है। वहीं, तय समय में अदा न करने पर नौ फीसद ब्याज के साथ भुगतान करने के भी आदेश दिए।
क्या था मामला-
लखनऊ के अलीगंज निवासी ज्ञान प्रकाश (58) को अप्रैल 2011 में पैरालिसिस हो गया था। पुत्र द्रोण मिश्रा ने उन्हें सहारा हॉस्पिटल में भर्ती कराया। द्रोण के मुताबिक वर्ष 2013 तक पिता ज्ञान प्रकाश पर चली दवाओं से किडनी व लिवर गड़बड़ हो गया। वहीं, मार्च 2014 में आयरन के इंजेक्शन लगा दिए गए गए। इसके बाद किडनी-लिवर की स्थिति और खराब हो गई। इसके बाद ज्ञान प्रकाश को अगस्त 2014 को दिल्ली के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इसके बाद वर्ष 2015 में द्रोण ने सहारा हॉस्पिटल व डॉ. संदीप अग्रवाल, डॉ. मुजफ्फल अहमद, डॉ. अंकुर गुप्ता की शिकायत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में की।
क्या आदेश था राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का-
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) के जस्टिस वीके जैन ने फैसला दिया। इस दौरान डॉ. संदीप पर रूपये 20 लाख, डॉ. मुजफ्फल पर रूपये 10 लाख का जुर्माना ठोंका। न्यायाधीश ने तीन माह के अंदर हर्जाना भरने का निर्देश दिया। इस दौरान भुगतान में देरी पर नौ फीसद ब्याज भी लगेगा। साथ ही शिकायतकर्ता के कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए 25 हजार रुपये भी देने का आदेश दिया।
सर्वोच्च न्यायलय का आदेश–
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना के पीठ ने लखनऊ स्थित सहारा इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट लिमिटेड और चिकत्सकों की याचिका को ख़ारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा की इस अदालत के आदेश पर पहले ही जमा कराई मुवायजे की रकम मरीज के स्वजन को दी जाय साथ ही साथ पीठ ने मरीज के पुत्र द्रोण मिश्रा की तरफ से मुवायजा बढ़ाये जाने सम्बन्धित अपील को भी ख़ारिज कर दिया ।