सुप्रीम कोर्ट करेगा 50 साल से चल रहे 2664 करोड़ की रामपुर के आखिरी नवाब संपत्ति बंटवारे विवाद में फैसला-

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रामपुर नवाब की पूरी संपति को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत शरिया क़ानून के आधार पर सभी वारिसों में संपत्ति का बंटवारा किए जाने की मांग की थी. फिर निचली अदालत के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

उत्तर प्रदेश के रामपुर के आख़िरी नवाब रजा अली खान की 26 सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के बंटवारे को लेकर करीब पचास साल पुराने विवाद का अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा. नवाब रजा अली खान की संपदा के उनके वारिसों के बीच बंटवारे के मुद्दे को कोर्ट कचहरी में आए 49 साल से ज्यादा हो गए. नवाब की संपत्ति के बंटवारे के लिए रामपुर की ज़िला अदालत ने सुप्रीम कोर्ट को ‘पार्टीशन स्कीम’ भेजी है.

लोअर कोर्ट ने 6 दिसम्बर को भेजी गई इस पार्टीशन स्कीम के तहत नवाब रजा अली खान की संपत्ति को शरिया क़ानून के तहत नवाब के 16 वारिसों में बांटे जाने का प्रस्तावनुमा सुझाव दिया गया है. इस पर अब सुप्रीम कोर्ट को अंतिम फैसला लेना है. इस पेचीदा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ही करीब ढाई साल पहले 30 जुलाई 2019 को संपत्ति बंटवारे पर इस्लामी शरई कानून के तहत उचित फ़ैसला लेने के लिए रामपुर की जिला अदालत को आदेश दिया था.

उच्च न्यायलय ने मुर्तजा अली खान और उनके वारिसों के पक्ष में फ़ैसला दिया था-

सर्वोच्च न्यायलय के आदेश से पहले इसी संपत्ति के बटवारे को लेकर हुए कानूनी विवाद में निचली अदालत और हाईकोर्ट ने नवाब रजा अली खान के बड़े बेटे मुर्तजा अली खान और उनके वारिसों के पक्ष में फैसला दे दिया था. मुकदमे के दौरान दूसरे पक्षकारों ने संपत्ति के विवाद में मुर्तजा अली खान के वारिसों पर यह आरोप लगाया था कि नवाब साब के बड़े बेटे मुर्तजा अली खान के परिजनों ने नवाब रजा अली खान की पांच अचल संपत्तियों सहित खजाने और अन्य चल संपत्ति पर भी जबरन कब्जा कर लिया था.

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1972 में कचहरी पहुंचा था मामला-

जानकारी हो की रामपुर रियासत के अंतिम शासक नवाब रजा अली खान की संपत्ति को लेकर दो पक्ष हैं. एक ओर मरहूम नवाब रजा अली के बड़े बेटे मरहूम मुर्तजा अली खान के बेटे मोहम्मद अली खान और बेटी निगहत अली खान हैं. जबकि दूसरी तरफ़ रजा अली खान के दो और बेटे मरहूम जुल्फिकार अली खान और मरहूम आबिद अली खान, छह बेटियां और उनके बच्चे हैं. जब खानदान में संपत्ति को लेकर आपसी कलह बढ़ गई तो नवाब रजा अली खान की नवासी यानी बड़ी बेटी की बेटी तलत फातिमा ने 1972 में कचहरी का रुख किया था.

शरिया कानून के आधार पर संपत्ति का बंटवारा-

कोर्ट में याचिका दाखिल कर नवाब की पूरी संपति को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत शरिया क़ानून के आधार पर सभी वारिसों में संपत्ति का बंटवारा किए जाने की मांग की थी. फिर निचली अदालत के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. मामला फिर सबसे ऊंची अदालत तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट की पहल पर अब निचली अदालत ने शरई कानून के तहत ये स्कीम तैयार की है.

आजादी के बाद भारत गणराज्य में विलय हो गई थी रियासत-

रामपुर ब्रिटिश शासन काल के दौरान रियासत था. 1774 में इसे नवाब फैज उल्ला खान ने बरेली जनपद के आंवला से आकर बसाया था. आजादी के बाद अंतिम नवाब रजा खान के समय में उनके बड़े बेटे नवाब मुराद अली खान को इस रियासत का युवराज घोषित किया गया था. आजादी के बाद यह पहली रियासत थी जो भारत गणराज्य में विलय हो गई थी. इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर नवाब खानदान के 18 वारिस अपना अधिकार जताते हुए कोर्ट में पहुंच गए थे.

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