सुप्रीम कोर्ट Supreme court ने करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स Pensioners को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी को किया गया अतिरिक्त भुगतान उसकी सेवानिवृत्ति के बाद इस आधार पर नहीं वसूला जा सकता कि उक्त भुगतान किसी गलती के कारण हो गया था।
क्या है मामला-
इस मामले में, शिक्षक ने 1973 में स्टडी लीव Study Leave ली लेकिन उन्हें इंक्रीमेंट Increment देते समय उस अवकाश की अवधि पर विचार नहीं किया गया था। 24 साल बाद 1997 में उन्हें नोटिस जारी किया गया और 1999 में उनके रिटायर Retire होने के बाद उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू की गई। इसके खिलाफ उन्होंने पहली बार केरल के मुख्यमंत्री के सार्वजनिक निवारण शिकायत ब्रांच से संपर्क किया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली जिसके बाद वो केरल हाई कोर्ट Kerala High Court पहुंचे। यहां उनकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
न्यायमूर्ति एस.ए. नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि अतिरिक्त भुगतान की वसूली पर रोक लगाने की अनुमति अदालतों द्वारा दी जाती है। यह कर्मचारियों के किसी अधिकार के कारण नहीं, बल्कि न्यायिक विवेक के तहत कर्मचारियों को उसके कारण होने वाली कठिनाई से बचाने के लिए है।
उच्चतम न्यायलय ने उनकी 20 साल की कानूनी लड़ाई को समाप्त कर दिया, वह केरल हाई कोर्ट में केस हार हार गए थे।
पीठ ने कहा कि यदि कर्मचारी की किसी गलतबयानी या धोखाधड़ी के कारण अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया है। और यदि नियोक्ता द्वारा वेतन व भत्ते की गणना के लिए गलत सिद्धांत लागू करके या नियम की किसी विशेष व्याख्या के आधार पर अधिक भुगतान किया गया था जो बाद में गलत पाया जाता है तो किया गया अधिक भुगतान वसूली योग्य नहीं है।
एक पूर्व में आए फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा, सरकारी कर्मचारी खासतौर से निचले पायदान वाला व्यक्ति अपनी आमदनी का खासा हिस्सा अपने परिवार के कल्याण में खर्च कर देता है। अगर उसे अतिरिक्त भुगतान लंबे समय तक किया जाएगा तो वह यही समझेगा कि वह इसे पाने का पात्र है। पीठ ने कहा कि लेकिन जहां कर्मचारी को पता है कि प्राप्त भुगतान देय राशि से अधिक है या गलत भुगतान किया गया है या जहां गलत भुगतान का पता जल्दी ही चल गया है तो अदालत वसूली से नहीं रोकेगी।
पीठ केरल निवासी थॉमस डेनियल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। डेनियल से जिला शिक्षा अधिकारी ने 1999 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें मिली वेतन वृद्धि लौटाने की मांग की थी।
पीठ ने ये टिप्पणियां केरल निवासी थॉमस डेनियल द्वारा दायर एक याचिका पर की हैं, जिन्हें जिला शिक्षा अधिकारी, कोल्लम ने उन्हें दिए गए वेतन और वेतन वृद्धि को 1999 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वापस करने के लिए कहा था।