हाईकोर्ट: न्यायधीशों को विदेश यात्रा के लिए अनुमति वाला आदेश किया निरस्त, विदेश मंत्रालय ने 2011 से बनाई थी गाइड लाइन-

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सर्वोच्च अदालत ने अपने दिए आदेश में कहा कि जब पिछली गाइडलाइन से कुछ भी नहीं बदला सिर्फ राजनीतिक अनुमति की शर्त बेतुकी है। ऐसे में इस आदेश को खारिज किया जाता है।

दिल्ली उच्च न्यायलय ने निजी विदेश यात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को सरकारी अनुमति लेने वाला केंद्र सरकार के आदेश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने ऐसे फरमान के लिए विदेश मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा, जजों के उच्च पदों के लिए इस तरह की शर्त लगाना अनुचित है।

न्यायमूर्ति राजीव शाकधर की पीठ ने कहा, उल्लेखनीय है कि जब केंद्र सरकार की ओर से 2011 में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायधीशों की विदेश यात्राओं के संबंध में कुछ दिशानिर्देश जारी किए गए थे, तो इसमें राजनीतिक मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया था। इस बार भी इसका अनुसरण किया जाना चाहिए था।

पीठ ने बीते शुक्रवार को दिए अपने आदेश में कहा, जब पिछली गाइडलाइन से कुछ भी नहीं बदला सिर्फ राजनीतिक अनुमति की शर्त बेतुकी है। ऐसे में इस आदेश को खारिज किया जाता है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विदेश मंत्रालय के इस आदेश का बचाव करते हुए कहा, विदेश जाने वाले जजों की जानकारी रखना जरूरी है, ताकि आपात स्थिति में उन्हें विदेश में कोई मदद मुहैया कराई जा सके।

इस पर पीठ ने कहा, जैसे ही काउंसलर, पासपोर्ट और वीजा के लिए आवेदन किया जाता है, विदेश मंत्रालय के संबंधित विभाग को विदेश यात्रा की जानकारी मिल जाती है। इसलिए यह तर्क निराधार साबित होता है।

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