कॉलेजियम पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार में रार, कानून मंत्री का कहना है की कॉलिजियम सिस्टम हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है

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  • हाल ही में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलिजियम सिस्टम को एलियन बताया है।
  • बता दें कि कानून मंत्री ने कहा था कि अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सर्वथा अपरिचित (एलियन) हो सकती है। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा।
  • रिजिजू ने कहा कि कॉलिजियम सिस्टम हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है. उन्होंने कहा, आप मुझे बताइए कि किस प्रावधान में कॉलिजियम सिस्टम का जिक्र किया गया है।
  • जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा, केंद्रीय मंत्री की ओर से कॉलेजियम प्रणाली पर जो टिप्पणी की वो नहीं होनी चाहिए थी।
  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश की थी। अधिवक्ता सौरभ कृपाल पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी एन कृपाल के बेटे हैं। अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने हाल ही में अपने समलैंगिक होने के बारे में खुलकर बात की थी।


सुप्रीम कोर्ट Supreme Court और हाई कोर्ट High Court के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 25 नवंबर को कॉलेजियम को फाइलें वापस भेजी थीं। इतना ही नहीं अनुशंसित नामों के बारे में कड़ी आपत्ति भी जताई थी। इन 20 फाइलों में से 11 नई फाइलें थी और नौ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजी गई थीं।

कॉलेजियम Collegium की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी के मसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित न्यायाधीशों की नियुक्ति पर विचार करने में केंद्र द्वारा महीनों की देरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस बात से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) ने संवैधानिक मस्टर पास नहीं किया। बता दें कि दो दिन पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम नहीं कह सकता कि सरकार उसकी तरफ से भेजा हर नाम तुरंत मंजूरी करे। और अगर ऐसा है तो फिर उन्हें खुद नियुक्ति कर लेनी चाहिए।

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कॉलेजियम मुद्दे पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच खींचतान जारी है। इस बीच सामने आया है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ी 20 फाइलों को लौटा दिया है। साथ ही कहा है कि कॉलेजियम इन पर फिर से विचार करे। इन फाइलों में अधिवक्ता सौरभ कृपाल की नियुक्ति की फाइल भी शामिल है। ज्ञात हो कि अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने हाल ही में अपने समलैंगिक होने के बारे में खुलकर बात की थी।

गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के लिए भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अधिवक्ता सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश की थी। अधिवक्ता सौरभ कृपाल पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी एन कृपाल के बेटे हैं।

इस बीच ये जानकारी भी मिली है कि कृपाल का नाम दिल्ली उच्च न्यायालय कॉलेजियम ने अक्टूबर 2017 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के लिए कॉलेजियम को भेजा था, लेकिन शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने उनके नाम पर विचार-विमर्श को तीन बार टाल दिया था।

ज्ञात हो की कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी के मसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित न्यायाधीशों की नियुक्ति पर विचार करने में केंद्र द्वारा महीनों की देरी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस बात से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) ने संवैधानिक मस्टर पास नहीं किया।

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बता दें कि दो दिन पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कॉलेजियम नहीं कह सकता कि सरकार उसकी तरफ से भेजा हर नाम तुरंत मंजूरी करे। फिर तो उन्हें खुद नियुक्ति कर लेनी चाहिए।

जानकारी हो की सुप्रीम कोर्ट ने अभी कुछ दिन पूर्व CEC और EC पर सरकार को फटकार लगाया था और कहा था की ये पद संवैधानिक नहीं है। आज जब कॉलेजियम की बात करे तो सरकार ये कह रही है की कॉलिजियम सिस्टम हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है।

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