तेलगांना हाई कोर्ट ने 58 वर्ष पूर्व 60 रु में सरकार द्वारा अधिग्रहित घर और जमीन को उसके मालिक को वापस दिला किया न्याय –

तेलगांना हाई कोर्ट ने 58 वर्ष पूर्व 60 रु में सरकार द्वारा अधिग्रहित घर और जमीन को उसके मालिक को वापस दिला किया न्याय –

  • तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 58 साल बाद एक ताड़ी मजदूर के परिवार को दिया न्याय
  • तेलंगाना सरकार को रामा गौड़ के परिवार को सब कुछ लौटाने का आदेश
  • मामला 58 साल पुराना है जब रंगारेड्डी आंध्र प्रदेश राज्य का हिस्सा था

तेलंगाना हाई कोर्ट Telagana High Court ने रंगारेड्डी जिले में एक ताड़ी उतारने वाले मजदूर से 3393 रुपये बकाया न चुकाने पर उसकी 11 एकड़ की जमीन और घर जब्त करने के तरीके को गलत माना। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में तेलंगाना गवर्मेंट को दिवगंत रामा गौड़ के परिवार को सब कुछ लौटाने का आदेश दिया। मामला 58 वर्ष पुराना है जब रंगारेड्डी आंध्र प्रदेश का हिस्सा था।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस के लक्ष्मण की बेंच ने गौड़ के बेटे के अंजैया और के नराहरी की अपील पर यह फैसला सुनाया। दिवंगत रामा गौड़ के दोनों बेटे मोमिनपेट मंडल के बुरुगुपल्ली गांव में रहते हैं।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य की ओर से सिर्फ 60 रुपये में संपत्ति की नीलामी खरीद बोर्ड के स्थायी आदेश संख्या 45 के प्रावधानों के खिलाफ है, जिसके तहत राज्य ने वसूली प्रकिया शुरू की थी।

54 वर्ष पूर्व का घर और जमीन लौटाने का हुआ आदेश-

बेंच ने एक पूर्व सैनिक को 11 एकड़ जमीन में से 9 एकड़ का आवंटन और उसके 5 एकड़ जमीन के गीतम यूनिवर्सिटी को बिक्री रद्द कर दी। बेंच ने कहा, पूरी 11 एकड़ की जमीन घर समेत गौड़ के बेटों को वापस लौटाई जानी चाहिए। रामा गौड़ बुरुगुपल्ली में सर्वेक्षण संख्या 117 और 121 में 11 एकड़ और 25 गुंटा कृषि भूमि के साथ घर के मालिक थे।

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रामा गौड़ ने 1957-58 में मरपल्ली कलां गांव के लिए एक ताड़ी का ठेका लिया था। इस ठेके को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने किराये के भुगतान के लिए अपनी 11 एकड़ कृषि भूमि और घर को जमानत के रूप में गिरवी रख दिया। हालांकि 3,393 रुपये का एरियर का वह भुगतान नहीं कर सके।

60 रुपये में नीलाम कर दिया घर बार और सब जमीन-

इसके बाद राज्य सरकार ने राजस्व वसूली अधिनियम, 1864 के प्रावधानों के तहत गिरवी रखी गई संपत्ति की बिक्री के माध्यम से बकाये की वसूली की प्रक्रिया शुरू की। आबकारी विभाग ने 1964 में दो बार संपत्ति की नीलामी की।

हालांकि दो पक्षों ने आगे आकर 5,000 रुपये की बोली जीती, लेकिन दोनों ने बोली जीतने के बावजूद राशि का भुगतान नहीं किया। राज्य ने तब नीलामी रद्द कर दी और राजस्व बोर्ड के स्थायी आदेश संख्या 45 के तहत 60 रुपये में पूरी संपत्ति खरीदी। राज्य सरकार ने घर के लिए 50 रुपये और 11 एकड़ के लिए 10 रुपये का भुगतान किया।

बेंच ने अपने आदेश में राज्य को संपत्ति की खरीद से अलग किया।

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