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जज पर FIR दर्ज होने पर हाइकोर्ट सख्त, कहा कि, क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से भी ऊपर हो गयी है पुलिस-

थानेदार गोपाल कृष्ण ने जज पर अपनी सरकारी पिस्टल तक तान दी थी. हालांकि इस दौरान वहां मौजूद वकीलों ने किसी तरह जज को बचा लिया. पुलिस के इस कारनामे से हाईकोर्ट इतना नाराज हो गया कि उसने स्वयं संज्ञान ले लिया.

सिविल न्यायलय मधुबनी के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज अविनाश कुमार (प्रथम) के चैंबर में घुसकर एसएचओ और एसआइ द्वारा बदसलूकी और अभद्रता की गयी और बदसलूकी के मामले में एडीजे के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करने पर उच्च न्यायलय ने बेहद सख्त टिप्पणियां की हैं.

पटना उच्च न्यायलय Patna High Court ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सख्त रुख अख्तियार किया है. पटना उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से ऊपर हो गई है. पुलिस द्वारा एक जज की पिटाई के मामले में बेंच ने डीजीपी, मधुबनी के एसपी और आईओ को गुरुवार को कोर्ट में पेश होने को कहा. चीफ जस्टिस ने कहा कि दोषियों को लेकर हम कल फैसला करेंगे कि उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाए या नहीं.

मामला क्या है-

उक्त मामला साल 2021 का है. मधुबनी के झंझारपुर सिविल कोर्ट में घोघरडीहा थाने के थानेदार गोपाल कृष्ण और दरोगा अभिमन्यू कुमार शर्मा ने चेंबर में घुसकर एडीजे प्रथम के साथ जमकर मारपीट की थी. यही नहीं थानेदार गोपाल कृष्ण ने जज पर अपनी सरकारी पिस्टल तक तान दी थी. हालांकि इस दौरान वहां मौजूद वकीलों ने किसी तरह जज को बचा लिया. पुलिस के इस कारनामे से हाईकोर्ट इतना नाराज हो गया कि उसने स्वयं संज्ञान ले लिया.

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सवालों का बौछार और वकील नहीं दे पाए जबाव –

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल की खंडपीठ आज इस मामले की सुनवाई कर रही थी. तभी कोर्ट को पता चला कि पुलिस ने एडीजे अविनाश कुमार पर एफआईआर दर्ज कर दी है. एफआईआर में जिन पुलिसकर्मियों ने जज की पिटाई की थी, उनके बयान दर्ज किए गए हैं. चीफ जस्टिस की बेंच ने सरकारी वकील से पूछा कि किस कानून के तहत जज के खिलाफ एफआईआर की गई है तो इस पर वह जवाब नहीं दे पाए.

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा की उनकी मंजूरी के बगैर केस कैसे दर्ज हो गया-

कोर्ट रूम में मौजूद अधिवक्ता मृगांक मौली ने बताया, “सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई हाईकोर्ट ये आदेश दे चुके हैं कि किसी न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ तभी कोई एफआईआर दर्ज की जा सकती है, जब उसकी मंजूरी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दें.” वहीं एडीजे अविनाश कुमार की पिटाई के मामले में बिहार पुलिस ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति लेना भी उचित नहीं समझा. चीफ जस्टिस संजय करोल ने तब हैरानी जताई जब बिहार पुलिस की तरफ से पक्ष रख रहे वकील ने बताया एफआईआर करने के लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा गया था. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने कोई मंजूरी नहीं दी, फिर केस कैसे दर्ज हो गया.

जज के ऊपर एफआईआर से नाराज चीफ जस्टिस-

जज के ऊपर एफआईआर दर्ज होने पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल बेहद ही नाराज हुए और की बेंच ने कहा कि क्या बिहार पुलिस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से भी ऊपर हो गई है. पुलिस का रवैया बर्दाश्त करने लायक नहीं है. बिहार पुलिस का पक्ष रख रहे वकील अगली सुनवाई के लिए हाईकोर्ट से समय की मांग रहे थे, लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, “जिसने ये किया है, उसे सजा मिलेगी. हम इस मामले में कोई देरी नहीं करेंगे. जो होना है, वह कल ही होगा. नाराज कोर्ट ने कहा कि हम दोषियों को सजा देंगे. मामले में जो भी फैसला करना है, वो एक दिन में करें.

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सात माह बाद जज पर एफआईआर-

जानकारी हो की एडीजे अविनाश कुमार से मारपीट के बाद 18 नवंबर 2021 को उनके बयान के आधार पर घोघरडीहा के तत्कालीन थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु कुमार शर्मा धारा 341, 342, 323, 353, 355, 307, 304, 306 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. वहीं मामले में जब सात महीने बीत गए तो जून 2022 में झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई. आरोपी घोघरडीहा के पूर्व थानेदार गोपाल कृष्ण के बयान पर झंझारपुर थाने में ये एफआईआर दर्ज करायी गई थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद इसकी जांच सीआईडी को सौंप दी गई.

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