नवदुर्गा के पंचम स्वरुप स्कंदमाता का दिन, जानिये माँ के कवच का महत्त्व 

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चैत्र नवरात्रि का आज पंचम दिन हैं माता के नौ स्वरूपों में आज माँ स्कंदमता की पूजा अर्चना की जाती है।  मान्यताओं के मुताबिक़,स्कंदमाता की पूजा अर्चना संतान प्राप्ति के लिए सर्वश्रेठ मानी गईं हैं। इसके आलावा स्कंदमाता की पूजा से बुद्धि भी तेज़ होती है। देवी स्कंदमाता की कृपा से ही कालिदास ने रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत जैसी महान रचनाएं की हैं. आज भक्तों ने सुबह स्कंदमाता की पूजा अर्चना, आरती और मंत्रों का जाप किया और अब शाम की पूजा में माँ के कवच का बहुत उत्तम स्थान है। इसको शाम की पूजा में पढ़ने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। आइये जानिये क्या है माँ स्कंदमाता का कवच —

स्कंदमाता का कवच:
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा.
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा.
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥

वाणंवपणमृते हुं फट् बीज समन्विता.
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी.
सर्वदा पातु माँ देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

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