Cji Bci Sc

कानूनी पेशा अभी भी मुख्य रूप से एक शहरी पेशा है, कानून को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा गया है – सीजेआई

कानून बिरादरी में महिलाओं की भागीदारी की कमी-

देश के मुख्य न्यायाधीश Chief Justice of India Justice एनवी रमन्ना ने कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कानून को अक्सर अमीर लोगों Rich People का पेशा माना जाता रहा है, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। उन्होंने न्यायालयों में जजों की कमी के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा कि देश में बड़ी संख्या में जजों के पद रिक्त हैं और अदालतों में उचित बुनियादी ढांचे की भी कमी है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया Bar Council of INDIA की ओर से उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए रमन्ना ने कहा कि कानून को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा गया है। अब धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है। अवसर खुल रहे हैं।

कानूनी पेशा अभी भी मुख्य रूप से एक शहरी पेशा है। एक मुद्दा यह भी है कि इस पेशे में स्थायित्व की कोई गारंटी नहीं है।

जस्टिस रमन्ना जल्द ही अदालतों के बुनियादी ढांचों पर एक रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू को सौंपेंगे। उन्होंने न्यायालयों और कानून बिरादरी में महिलाओं की भागीदारी की कमी पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किल से हमने सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं का सिर्फ 11 फीसदी प्रतिनिधित्व हासिल करने में सफल हो पाए हैं।

देश के सर्वोच्च जज का बयान ऐसे समय आया है, जब हाल ही नौ न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली है। इसमें जस्टिस बीवी नागरत्ना, हिमा कोहली और बेला एम त्रिवेदी के रूप में तीन महिला जज भी शामिल हैं। जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी सुप्रीम कोर्ट का अहम हिस्सा हैं। इस तरह से यह सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की सबसे बड़ी संख्या है।

ALSO READ -  498A केस: हाईकोर्ट ने FIR रद्द करते हुए कहा की पत्नी द्वारा ससुराल वालों को परेशान करने और बदला लेने के लिए दर्ज कराई थी प्राथमिकी-

मुख्य न्यायाधीश रमन्ना की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए एक बार में 68 नामों की सिफारिश की थी। इनमें 10 महिला जजों के नाम की अनुशंसा की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को कहा कि मेरे उच्च न्यायालय के दिनों में, मैंने देखा है कि महिलाओं को शौचालय की सुविधा नहीं मिलती है। महिला वकीलों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जब मैं न्यायाधीश था, मैंने चीजों को बदलने और संसाधनों में सुधार करने की काफी कोशिश की।

Translate »
Scroll to Top