सुप्रीम कोर्ट: चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी Anticipatory Bail लेने से नहीं रोका जा सकता-

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा की चार्जशीट दाखिल करने के बाद आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का विकल्प होने से पक्षकारों को अग्रिम जमानत लेने से नहीं रोका जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दाखिल करने के बाद आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का विकल्प होने से पक्षकारों को सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत लेने से नहीं रोका जा सकता है।

न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 23 जुलाई, 2021 के आदेश का विरोध करने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

आक्षेपित आदेश के अनुसार उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने शीर्ष न्यायालय के 7 अक्टूबर, 2020 के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि दूसरी अग्रिम जमानत याचिका दायर करने का कोई सवाल ही नहीं था और आवेदकों को निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करके और नियमित जमानत के लिए आगे बढ़ते हुए उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करना चाहिए था।

पीठ ने देखा कि यह अग्रिम जमानत देने और आदेश को रद्द करने के लिए एक उपयुक्त मामला है। विधवा को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीठ ने आदेश में कहा, “यह भी नहीं कहा जा सकता है कि कार्रवाई के एक ही कारण पर प्रतिवादियों के लिए उपस्थित वकील द्वारा अनुरोधित अग्रिम जमानत देने के लिए यह दूसरा आवेदन है। इसके अलावा यह भी हमारे संज्ञान में लाया गया है कि मृतक के पति को गिरफ्तारी के बाद नियमित जमानत मिल गई थी।

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अदालत ने नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से भी सुरक्षा प्रदान की।” पृष्ठभूमि याचिकाकर्ता जो मृतक के ससुर और सास थे, उन पर दहेज निषेध अधिनियम धारा 3 और 4 और आईपीसी की धारा 323, 498A, 304B के तहत मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। चार्जशीट दायर होने से पहले उन्हें 7 अक्टूबर, 2020 को शीर्ष अदालत द्वारा अग्रिम जमानत दी गई थी।

जमानत देते समय न्यायालय ने पाया कि आरोप पत्र दाखिल करने के अनुसरण में, याचिकाकर्ताओं के लिए आत्मसमर्पण करने और सक्षम न्यायालय के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार था।

आरोप पत्र दाखिल करने के बाद, जब अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया गया था, तो इस न्यायालय द्वारा पूर्व के आदेश में की गई टिप्पणियों के आधार पर आक्षेपित आदेश पारित किया गया था।

केस टाइटल – विनोद कुमार शर्मा एंड अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एंड अन्य

केस संख्या 6057/2021

कोरम – जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस हृषिकेश रॉय

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