वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति मामले में बना रिकॉर्ड, कॉलेजियम सिस्टम पर नए सिरे से हुए हमले

वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति

न्यायपालिका Judiciary के लिए वर्ष 2022 कई मायनों में यादगार रहेगा। एक तरफ जहां इस वर्ष विभिन्न उच्च न्यायालयों High Courts में रिकॉर्ड 138 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, वहीं उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था Collegium System पर नए सिरे से हमले भी किए गए। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कुछ अवसरों पर कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए दिखे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को संविधान के लिए ‘एलियन’ करार दिया। रिजिजू ने यहां तक कह डाला कि उच्च न्यायपालिका में जजों की कमी और नियुक्तियों का मुद्दा तब तक लटका रहेगा, जब तक इसके लिए कोई नई व्यवस्था नहीं बनाई जाती है।

ज्ञात हो की केंद्र सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने के लिए संसद में लगभग सर्वसम्मति से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग NJAC अधिनियम पारित किया था, जिसे संवैधानिक दर्जा दिया गया था। केंद्र सरकार ने 13 अप्रैल, 2015 को 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को लागू कर दिया था।

गौरतलब है कि दोनों कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर, 2015 को दोनों कानूनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद एक बार कॉलेजियम सिस्टम बहाल हो गई।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक लिखित जवाब में कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता, निष्पक्षता और सामाजिक विविधता की कमियों को लेकर समय-समय पर शिकायतें मिलती रही हैं। इनमें न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली में सुधार के अनुरोध भी किए जाते रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के गठन के लिए विधेयक को फिर से पेश करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच कॉलेजियम पर गतिरोध-

एक ओर जहां जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच गतिरोध देखने को मिला। वहीं, एक संसदीय समिति ने हाल ही में उच्च न्यायालयों में जजों की कमी की समस्या से निपटने के लिए कार्यपालिका और न्यायपालिका को अच्छी सोच के साथ काम करने को कहा है। समिति ने इस बात पर ‘आश्चर्य’ जताया है कि सर्वोच्च अदालत और सरकार, उच्च न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट) में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया ज्ञापन के संशोधन पर आम सहमति बनाने में विफल रहे हैं। जबकि यह मामला लगभग सात वर्षों से दोनों के पास विचाराधीन है।

संसदीय समिति ने सरकार और न्यायपालिका से संशोधित एमओपी MoP को अंतिम रूप देने की उम्मीद की है, जो अधिक कुशल और पारदर्शी है। बता दें, MoP दस्तावेजों का एक संग्रह है जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण का मार्गदर्शन करता है।

केंद्र सरकार ने 20 फाइलों पर पुनर्विचार करने को कहा-

सरकार ने 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति से जुड़ी 20 फाइलों पर पुनर्विचार करने को कहा था। सरकार ने कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों पर आपत्ति जताई थी। इनमें से 11 नए नाम थे और नौ नाम कॉलेजियम द्वारा दोबार भेजे गए थे।

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