मौजूदा समय में न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट से गुजर रही है। इसमें सुधार के लिए कानूनी पेशे से जुड़े लोगों को काम करना होगा।
शीर्ष न्यायलय के माननीय न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा समय में न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट से गुजर रही है। इसमें सुधार के लिए कानूनी पेशे से जुड़े लोगों को काम करना होगा।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने कहा की कोविड-19 महामारी के दौरान उपजा मुकदमों का बैकलॉग खत्म करने की जरूरत बताई।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका के सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीश नियुक्त होने पर ठाणे की जिला अदालतों की बार एसोसिएशन ने सम्मान समारोह आयोजित किया था। यहां उन्होंने कहा कि अगर कोविड-19 की तीसरी लहर आती है तो भी जजों और वकीलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि न्यायिक कार्य निर्बाध चलें और लोगों को न्याय मिले।
नागरिकों का न्यायपालिका में विश्वास बढ़ाने के लिए यह उपयोगी कदम होगा।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने कर्नाटक हाईकोर्ट का उदाहरण दिया, जहां महामारी के दौरान 11 शनिवार को अतिरिक्त काम करके मुकदमों का बैकलॉग घटाया गया।
जस्टिस ओका के अनुसार ऐसे काम बाकी जगह भी होने चाहिए क्योंकि आज 10 लाख नागरिकों पर केवल 17-18 जज हैं।
1983 में ठाणे की अदालत से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस ओका 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाए गए थे। वे 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए है।
निजी स्वतंत्रता अटल, जमानत अर्जी पर जल्द करें कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता अटल है और जमानत के लिए दायर याचिका को तेजी से सुनवाई के लिए लाया जाना चाहिए।
जस्टिस अजय रस्तोगी और एएस ओका की पीठ ने इस साल मार्च में गिरफ्तार किए गए एक आरोपी की याचिका पर यह टिप्पणी करते हुए कहा की अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती है, लेकिन कम से कम इतनी अपेक्षा की जा सकती है कि ऐसी याचिकाओं को जल्द से जल्द सुना जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पंजाब के पटियाला में आरोपी के खिलाफ एक केस दर्ज है और वह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है, जिस पर उसने तेजी से सुनवाई करने का आग्रह किया है।
पीठ ने पाया कि सत्र अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। उसके बाद उसने हाईकोर्ट में नियमित जमानत की याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले को पीठ के समक्ष कई बार सूचीबद्ध किया गया, लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हुई।