Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक मामले की सुनवाई में प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह भूमि अधिग्रहण के कारण अपनी संपत्ति से वंचित व्यक्ति को तुरंत मुआवजा दे। साथ ही कहा कि अगर उसे तुरंत मुआवजा नहीं दिया जाता है तो वह जमीन पर कब्जा Possession of Land करने की तारीख से भुगतान की तारीख तक मुआवजे की राशि पर ब्याज का हकदार होगा।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने गयाबाई दिगंबर पुरी बनाम एक्जक्यूटिव इंजीनियर मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई व्यक्ति जमीन के अधिग्रहण के कारण अपनी संपत्ति कब्जे से वंचित हो जाता है तो उसे तुरंत मुआवजा दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने आरएल जैन (डी) बनाम डीडीए एंड अन्य (2004) 4 SCC 79 मामले का हवाला देते हुए कहा कि अगर उसे तुरंत मुआवजा नहीं दिया जाता है तो वह जमीन पर कब्जा करने की तारीख से भुगतान की तारीख तक मुआवजे की राशि पर ब्याज का हकदार होगा।
पीठ ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के आदेश को पलटते हुए महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता को 4 अप्रैल 1997 से (जब से भूमि का कब्जा लिया गया) कोर्ट द्वारा निर्दिष्ट दर पर ब्याज का भुगतान करें।
कोर्ट ने कहा है कि जब पहले वर्ष के लिए अप्रैल 1998 तक कब्जा लिया गया था तब तक 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से और उसके बाद 4 अप्रैल 1998 से भुगतान की तिथि अर्थात 8 सितंबर 2004 तक 15 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान किया जाना है।
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने बांध के निर्माण के लिए याचिकाकर्ता की जमीन वर्ष 1997 में कब्जे में ली थी, लेकिन अधिग्रहण की प्रक्रिया 2001 में शुरु की। महाराष्ट्र सरकार के वकील सचिन पाटील बताते है कि 2004 से जमीन को अधिग्रहीत कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक उन्हें रेंट दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे मुआवजे पर ब्याज देने के लिए कहा है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को वर्ष 1997 से मुआवजे पर ब्याज नहीं दिए जाने का आदेश दिया था। इस आदेश को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में पीठ के विचाराधीन यह मुद्दा था कि ब्याज का भुगतान जमीन का कब्जा लेने की तारीख से शुरु हो या केवल अवार्ड की तारीख से ।
केस टाइटल – गयाबाई दिगंबर पुरी (मृत्यु) बनाम एग्जीक्यूटिव इंजीनियर
केस नंबर – एसएलपी (सी) डायरी 17566/2020 | 3 जनवरी 2022
कोरम – न्यायमूर्ति एएम खानविलकर न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार