पटना HC ने POCSO COURT के फैसले को किया रद्द, रेप आरोपी को भी ARTICLE 21 में अधिकार प्राप्त, कहा ये नेचुरल जस्टिस सिद्धान्तों के विरुद्ध

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पॉक्सो अधिनियम के एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने स्पेशल पोक्सो कोर्ट को फटकार लगते हुए स्पेशल पोक्सो कोर्ट के फैसले को भी रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति एएम बदर और न्यायमूर्ति संदीप कुमार के बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा- जिस तरह से एक दिन में सारा ट्रायल पूरा कर सजा सुना दी गई वो वाकई में हैरत में डालने वाला है।

कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को रद्द कर रेप के आरोपी के पक्ष में आदेश जारी किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आठ साल की बच्ची से रेप के मामले में फिर से ट्रायल कर उचित तरीके से सुनवाई की जाए ये नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

क्या था मामला-

केस के मुताबिक आरोपी एक बच्ची आठ साल को बहला फुसला कर अपने साथ ले गया। उसने बच्ची का रेप किया। इसके बाद वो मौके से भाग गया। बच्ची घर पहुंच कर अपनी मां को घटना के बारे में बताया। बच्ची को मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा गया। माता-पिता द्वारा उसी दिन आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 376 AB यानी 12 साल की उम्र से कम की बच्ची से रेप और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी गिरफ्तार कर लिया गया। चार्जशीट दायर की गई। उसके बाद एक स्पेशल पॉक्सो एक्ट के तहत केस तैयार हुआ। स्पेशल पोक्सो कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और सुनवाई के प्रथम दिन ही आरोप तय कर दिए। मामले में सबसे खास बात ये है कि जिस दिन आरोप तय किया गया था, उसी दिन आरोपी को पुलिस के कागजात दिए गए थे। उसी दिन सुनवाई पूरी हो गई। पोक्सो कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी।

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उच्च न्यायलय ने कहा की मामले में स्पेशल जज ने जिस तरह से जल्दबाजी दिखाकर ट्रायल एक दिन में पूरा करके सजा सुना दी वो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की भावना के अनुरूप नहीं है।

पटना हाईकोर्ट ने इस बात पर भी हैरत जताई कि पुलिस के कागजात आरोपी को उसी दिन मुहैया कराए गए थे जिस दिन आरोप तय किए गए थे।

बेंच ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी को भी कुछ अधिकार प्राप्त हैं। स्पेशल कोर्ट को इसका ख्याल रखना चाहिए था। उसे मामले की गंभीरता को देखना चाहिए था। इस पर भी ध्यान देना चाहिए था कि निष्पक्ष सुनवाई हो। हाई कोर्ट ने कहा की रेप जैसे मामले में एक दिन में ट्रायल पूरा नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट ने आखिरी में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए और सजा सुनाते समय कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

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