आज माँ के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा, मंगल दोष को भी करतीं है खत्म 

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कल से यानी की १३ अप्रैल से चैत्र नवरात्र आरम्भ हो चुके हैं, दिन मंगलवार से शुरू हुए नवरात्र का आज दूसरा व्रत है जो की माँ ब्रह्मचारिणी का दिन है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से बासंतिक या चैत्र नवरात्रि के आरंभ होने की परंपरा है. आज माँ के दूसरे दिन भ्रह्म्चारिणी देवी की जाती है। आइये जानतें हैं इनकी पूजा और स्रोत- 

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्.

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी.

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

हमारी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ जिसकी कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होती है उन्हें देवी ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. जैसा कि ज्ञात हो मंगल कमजोर होने शादी-ब्याह में भी दिक्कतें आतीहै .

धार्मिक मान्यताओं की मानें तो मां कुष्मांडा रूप के बाद जब देवी माता पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया था तो उनके अविवाहित रूप को ही मां ब्रह्मचारिणी माना गया.कहा  है की माता के इस स्वरुप की पूजा करने से हमारे रुके हुए कार्यों की बाधा खत्म होती है। 

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