भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में 23 और 24 जून को अमेरिकी नौसेना के जहाज रोनाल्ड रीगन के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) के साथ रणनीतिक आउटरीचअभ्यास करेंगी। अमेरिका का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) फिलहाल आईओआर में ही तैनात है। इस पैसेज अभ्यास में भारतीय नौसेना के जहाज कोच्चि और तेग के साथ-साथ पी-8आई और मिग 29के विमान हिस्सा लेंगे।
वायुसेना प्रवक्ता के अनुसार दक्षिणी वायु कमान के क्षेत्र में होने वाले इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना चार ऑपरेशनल कमांड के ठिकानों से हिस्सा लेगी। इसमें जगुआर और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, अवाक्स, एईडब्ल्यूएंडसी और एयर टू एयर रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट शामिल होंगे। अभ्यास में अमेरिकी सीएसजी की ओर से एफ-18 लड़ाकू विमान और ई-2सी हॉकआई एईडब्ल्यूएंडसी विमान उतारे जाने की उम्मीद है। यह अभ्यास दो दिन तक पश्चिमी समुद्र तट पर तिरुवनंतपुरम के दक्षिण में किया जाएगा। अमेरिकी सीएसजी के साथ इस अभ्यास में समुद्री वायुशक्ति डोमेन में सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के आदान-प्रदान समेत कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारतीय वायुसेना को हिन्द महासागर क्षेत्र में समुद्री अभियानों का व्यापक अनुभव है। कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों में भागीदारी सहित देश के द्वीप क्षेत्रों से युद्धाभ्यास का संचालन करके यह अनुभव हासिल किया गया है। आईओआर में भारतीय वायुसेना की बहुआयामी क्षमता है क्योंकि इस क्षेत्र में मित्र राष्ट्रों के लिए मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) मिशन और लॉजिस्टिक्स सहायता मिशन चलाये हैं। अमेरिकी सीएसजी के साथ भारतीय वायुसेना का यह अभ्यास दोनों देशों के बीच ‘दोस्ताना संबंधों’ के साथ समुद्री क्षेत्र में संयुक्त अभियान शुरू करने का बेहतरीन मौका है।
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार इस पैसेज अभ्यास में भारतीय नौसेना के जहाज कोच्चि और तेग के साथ-साथ पी-8आई और मिग 29के विमान हिस्सा लेंगे। भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के विमानों के साथ-साथ भारतीय नौसेना के युद्धपोत, कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ संयुक्त बहु-डोमेन संचालन में लगे रहेंगे, जिसमें निमित्ज़ श्रेणी के विमानवाहक पोत रोनाल्ड रीगन, अर्ले बर्क क्लास गाइडेड मिसाइल विध्वंसक यूएसएस हैल्सी, टिकोनडेरोगा क्लास गाइडेड मिसाइल क्रूजर और यूएसएस शिलोह शामिल हैं। दो दिवसीय अभ्यास का उद्देश्य समुद्री संचालन में व्यापक रूप से एकीकृत और समन्वय करने की क्षमता का प्रदर्शन करके द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को मजबूत करना है।
अभ्यास के दौरान उच्च गति के संचालन में उन्नत वायु रक्षा अभ्यास, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर संचालन और पनडुब्बी रोधी अभ्यास शामिल हैं। भाग लेने वाले बल अपने युद्ध-लड़ाई कौशल को सुधारने और समुद्री क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत बल के रूप में अपनी अंतःक्रियाशीलता को बढ़ाने का प्रयास करेंगे।भारतीय और अमेरिकी नौसेना नियमित रूप से कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास करते हैं, जो एक खुली, समावेशी और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए साझेदार नौसेनाओं के रूप में साझा मूल्यों को रेखांकित करते हैं।