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सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से सुप्रीम झटका – एक टॉवर गिराने वाली याचिका खारिज, अब गिराए जाएंगे दोनों टॉवर-

सुपरटेक रियल एस्टेट कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है और अपने पूर्व के आदेश को जारी रखा है।

दअससल, सुपरटेक नोएडा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कोर्ट से अपने आदेश में संसोधन की मांग करते हुए सिर्फ एक टॉवर गिराने की अनुममि मांगी गई थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए पूर्व के आदेश को बरकरार रखा है।

बता दें कि इससे पहले 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट परिसर में दो अवैध 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा था और बिल्डर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने को कहा था।

सुपरटेक ने दो अवैध टावरों, टी16 और टी17 का निर्माण किया था

सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि सुपरटेक ने बिना स्वीकृति के और विभिन्न भवन नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए दो अवैध टावरों, टी16 और टी17 का निर्माण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को उन घर खरीदारों द्वारा किए गए भुगतान को वापस करने के लिए कहा जिन्होंने दो अवैध टावरों में निवेश किया था। इसके अलावा एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए को भारी जुर्माना भी देने के लिए कहा था।

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सभी फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पैसे वापस करने होंगे

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुपरटेक को आदेश देते हुए कहा था कि नोएडा में ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पैसे वापस किए जाएं। कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को दो करोड़ रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था। पीठ ने पाया कि मानदंडों के उल्लंघन में नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर की मिलीभगत थी। पीठ ने फैसले में कहा था कि अवैध निर्माण से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

टॉवर्स को तोड़ते वक्त अन्य भवनों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए सुप्रीम कोर्ट

फैसले में कहा गया था कि टॉवर्स को तोड़ते वक्त अन्य भवनों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह ने इस मामले की सुनवाई की थी।

वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी दिया था टॉवर्स को गिराने का निर्देश 

बता दें कि वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन टावर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है।

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