फर्जी वकीलों में से तो एक वकील ने तो किसी और वकील के लाइंसेंस पर बार एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव मेंबर के लिए चुनाव भी लड़ा, इसके प्रचार के लिए बैनर पोस्टर भी छपवाए और वह चुनाव भी जीत गया-
बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा की अनुशासन समिति ने ऐसे 140 फेक वकीलों की सूची पुलिस कमिश्नर, लुधियाना को तत्काल कार्रवाई के लिए भेजी है, जिससे उक्त अपराध के लिए इन लोगों पर मामला दर्ज किया जा सके।
दरअसल, यह मामला लुधियाना का है, जहां 140 ऐसे वकील शामिल है जो लोगों के केस के लिए कोर्ट में पेश हो रहे हैं पर उनके पास डिग्री नहीं हैं या फिर फर्जी डिग्रियां हैं। इतना ही नही वे लोग बार कौंसिल द्वारा किसी और के नाम जारी डिग्रियों और लाइसेंस पर वकालत करते आ रहे थे।
फर्जी वकीलों में से तो एक वकील ने तो किसी और वकील के लाइंसेंस पर लुधियाना बार एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव मेंबर के लिए चुनाव भी लड़ा, इसके प्रचार के लिए पैंफ्लेट भी छपवाए और वह चुनाव जीत भी गया।
बार की अनुशासन समिति ने लुधियाना के डेविड गिल नामक वकील की शिकायत पर जांच कर रही थी। वकील डेविड गिल ने एक परमिंदर सिंह के खिलाफ शिकायत दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि परमिंदर के पास वैध लाइसेंस नहीं है और वह प्रैक्टिस कर रहा है।
सुनवाई के दौरान जिला बार एसोसिएशन के सभी सदस्यों के लाइसेंस की जांच के लिए अनुशासन समिति ने तीन सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया, जिसमें राजेश कुमार, राहुल ग्रोवर और प्रदीप शर्मा शामिल थे। समिति ने बार एसोसिएशन लुधियाना द्वारा उपलब्ध कराई गई मतदाता सूचियों और बार काउंसिल के रिकॉर्ड से तुलना करके चार्ट दिखाकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्ष 2000 से 2021 तक के रिकॉर्ड की जांच के बाद यह पाया गया कि लुधियाना के कुल 140 वकील गैर-मौजूद नामांकन नंबर पर प्रैक्टिस कर रहे हैं।
परिषद ने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि इस प्रकार से फर्जी प्रमाणपत्र और कागजात से फर्जी अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट से फर्जी वकीलों की त्वरित जांच कर उनके खिलाफ कार्यवाही करे।
सूत्रों सर प्राप्त खबर के अनुसार बार कौंसिल की आनुशासनिक कमेटी द्वारा इन 140 मुन्नाभाई एडवोकेटस की पहचान करके इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लुधियाना कमिश्नर से संबंधित जांच रिपोर्ट और वकीलों के नाम भेज दिए है। वहीं इनके खिलाफ केस दर्ज होने लगभग तय है।
इसके अलावा बार कौसिंल ने तुरंत प्रभाव से इन वकीलों के अदालतों में उपस्थित हो किसी भी अदालती कामकाज में पेश होने पर रोक लगा दी है।