Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस फैसले में न तो कारण था और न ही आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि Criminal Background के संबंध में जोरदार दलीलें मानी गईं।
उच्चतम न्यायालय ने बिना कोई कारण बताए जमानत Bail देने के लिए पटना हाई कोर्ट को फटकार लगाई और हत्या के आरोपी को तुरंत वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हुए इसे रद्द कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह आदेश यांत्रिक रूप से और अनमने तरीके से पारित किया गया था।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सोमवार को पारित फैसले में हाई कोर्ट के जमानत आदेश का हवाला दिया और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि इसमें न तो कारण थे और न ही आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में जोरदार दलीलें मानी गईं।
इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने आईपीसी (IPC) की धारा 147, 148, 149, 341, 323, 324, 427, 504, 506, 307, और धारा 302 और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत कथित आरोपों के संबंध में प्रतिवादी आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया था।
पीठ ने अनिल कुमार यादव बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) में रखे गए विचारों का उल्लेख करते हुए कहा, “यूं भी हाईकोर्ट ने यह निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक सामग्री पर विचार नहीं करके गलती की है कि क्या आरोपी जमानत पर रिहा होने का हकदार है? हाईकोर्ट ने जमानत देने के प्रासंगिक विचार नहीं बताया है।”
हाई कोर्ट द्वारा बिना कारण बताए दे दी जमानत –
Patna High Court हाई कोर्ट द्वारा पारित किए गए निर्णय और आदेश में यह देखा जा सकता है कि प्रतिवादी संख्या 2 को जमानत पर रिहा करते समय उच्च न्यायालय द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया है न ही हाई कोर्ट ने अभियुक्तों के खिलाफ अपराधों की प्रकृति और गंभीरता पर विचार किया। ऐसा लगता है कि हाई कोर्ट ने यांत्रिक और अनमने तरीके से आदेश पारित कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने के लिए प्रासंगिक विचारों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा है। जमानत देते समय कई बातें देखी जाती हैं, पहला- गंभीरता की प्रकृति, दूसरा साक्ष्य की प्रकृति और परिस्थितियां जो अभियुक्त के लिए विशिष्ट हैं, तीसरा अभियुक्त के भागने की संभावना, चौथा उसकी रिहाई से अभियोजन पक्ष के गवाहों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसका समाज पर प्रभाव और पांचवां केस के साथ छेड़छाड़ की संभावना
पिता-बेटे की हत्या का आरोप–
कानूनी सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि जमानत आदेश में इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया है कि आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर है और उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। वह याचिकाकर्ता के पिता और भाई की हत्या के दोहरे हत्याकांड में शामिल है। इन मामलों की सुनवाई साक्ष्य दर्ज करने के महत्वपूर्ण चरण में है।
केस टाइटल – सुनील कुमार बनाम बिहार राज्य
केस नंबर – CRIMINAL APPEAL NO. 95 OF 2022
कोरम – न्यायमूर्ति एमआर शाह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना