Parliament

निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी-

नयी दिल्ली : संसद ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी। इसके तहत संकटग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे।

राज्यसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है और लोकसभा ने सोमवार को इसे मंजूरी दे दी।

विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2019 में कई सहकारी बैंक दिक्कत में आ गईं थीं और जमाकर्ताओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था और अब इसे पांच लाख रुपये किया गया है। इसके साथ ही जमाकर्ताओं को समय पर पैसा मिलेगा।

सीतारमण ने यह भी कहा कि यह विधेयक अभी से प्रभावी होगा। पीएमसी बैंक और श्री गुरु राघवेंद्र बैंक जैसे बैंकों को पहले दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उनके जमाकर्ताओं को भी इससे फायदा मिलेगा।

इसके बाद, पेगासस मामले, किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच ही निचले सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।

इस विधेयक के माध्यम से निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 में संशोधन किया गया है ताकि जमाकर्ताओं में अपने धन की सुरक्षा के बारे में विश्वास पैदा किया जा सके। इसके तहत संकटग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे।

ALSO READ -  NAGALAND-वांचिंग गांव में खुदाई के दौरान मिले हीरे,1 दिसंबर तक पहुंचेगी भूवैज्ञानिकों की टीम,वीडियो वायरल-

इसका उद्देश्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के विभिन्न उपबंधों के तहत बीमित बैंक के बैंकिंग व्यवसाय के निलंबन की स्थिति में जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से निक्षेप बीमा के माध्यम से उनकी बचत तक पहुंच को सुगम बनाना है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार, 28 जुलाई को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 (डीआईसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करना है। अधिनियम में संशोधन लागू होने के बाद बैंक पर लेन-देन की रोक लगने पर जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि प्राप्त करने का अवसर सुनिश्चित होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 में संशोधन की घोषणा आम बजट में की थी। इस संशोधन के बाद सभी खाताधारकों की पांच लाख रुपये तक की जमा राशि को बीमा कवर मिलेगा। इसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं।

डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है।(भाषा)

Translate »
Scroll to Top