यहां पर है सास-बहू मंदिर क्या और क्यों किया गया था इस मंदिर का निर्माण जाने कारण-

भारत में रहने वाले लाखों-करोड़ों लोग अलग-अलग धर्म और देवी-देवताओं को मानते हैं। यहां देवी-देवताओं के अनोखे और विचित्र मंदिर भी हैंं। इनमें से कुछ मंदिरों के रहस्य काफी दिलचस्प है। इन्हीं में से एक विचित्र मंदिर के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं।

यह विचित्र मंदिर राजस्थान के उदयपुर से दूर नागदा गांव में मौजूद है।

इस मंदिर में भगवान विष्णु निवास करते हैं, लेकिन मंदिर सास-बहू के नाम से फेमस है।

सास-बहू का अनोखा मंदिर-

इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में कच्छवाहा वंश के राजा महिपाल का शासन था, जिनकी पत्नी भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। उनकी पूजा-अर्चना को ध्यान में रखते हुए यहां सहस्त्रबाहू नाम के मंदिर का निर्माण करवाया गया था। कुछ सालों बाद रानी के पुत्र का विवाह हुआ। रानी की बहू भगवान शिव की आराधना करती थीं। राजा ने अपनी बहू क लिए उसी मंदिर के पास भगवान शिव का मंदिर बनवाया। इसके बाद दोनों मंदिरों को सहस्त्रबाहू कहा जाने लगा।

यह मंदिर उदयपुर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। बहू का मंदिर, सास के मंदिर से थोड़ा छोटा है। 10वीं सदी में निर्मित सास-बहू का मंदिर अष्टकोणीय आठ नक्काशीदार महिलाओं से सजायी गई छत है। इस मंदिर की दोनों मूर्तिया एक दूसरे को घेरे हुए है।

क्या है इस मंदिर के निर्माण की वजह-

सास-बहू के इस मंदिर में एक मंच पर त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की छवियां खुदी हुई हैं, जबकि दूसरे मंच पर राम, बलराम और परशुराम के चित्र लगे हुए हैं। इस मंदिर के बार में ऐसा कहा जाता है कि, मेवाड़ राजघराने की राजमाता ने यहां भगवान विष्णु का मंदिर और बहू ने शेषनाग के मंदिर का निर्माण कराया था। जिसके कारण ही इस मंदिर को सास बहू के मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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