महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत ही भयावह है इससे सभी त्रस्त और डरे हुए हैं। बीते एक वर्ष से अभी तक इससे राहत नहीं मिल पाई है। इस वर्ष तो स्वास्थ्य सेवाएं भी जवाब देती नज़र आ रही हैं। आपको बतादें कि देश में पिछले कई दिनों से साढ़े तीन लाख से ज्यादा नए कोरोना के मामलें सामने आ रहे हैं। महामारी के तांडव के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। अस्पताल ऑक्सीजन, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी का सामना कर रहे हैं। इसके बाद भारत ने विदेशी सहायता प्राप्त करने की अपनी नीति में 16 साल बाद बड़ा बदलाव किया है। जिसमें जहाँ देश के प्रधानमंत्री ने सभी को आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था लेकिन इस मुश्किल वक्त में अब भारत आत्मनिर्भर नहीं रहा। क्यूंकि बाहरी विदेशी देश अब भारत को कोरोना की इस स्थिति से जूझने के लिए सहायता कर रहा है और भारत ने उन सभी मदद को स्वीकार भी किया है।
ख़बरों की मानें तो,कोरोना महामारी की मार के चलते विदेशी सहायता प्राप्त करने के संबंध में दो बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। भारत को अब चीन से ऑक्सीजन से जुड़े उपकरण एवं जीवन रक्षक दवाएं खरीदने में कोई ‘समस्या’ नहीं है। वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी भारत को मदद की पेशकश की है। जहां तक पाकिस्तान से सहायता हासिल करने का सवाल है, तो भारत ने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है। सूत्रों के हवाले से खबर ये भी है की भारतीय कम्पनिया बाहरी कंपनियों से दवाइया लेंगीं जिसमें केंद्रकी कोई रोकटोक नहीं होगी।
आपको बतादें संकट इस घड़ी में भारत की खतरनाक स्थिति देखकर कई देश मदद के लिए आगे आये हैं। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदेशी मदद को साफ़ मन कर दिया था लेकिन अब भारत इन देश से खुलकर मदद लेता नज़र आ रहा है। अमेरिका अगले महीने एस्ट्राजेनेका के टीका भेज सकता है। इस समय अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, आयरलैंड, बेल्जियम, रोमानिया, लक्जमबर्ग, पुर्तगाल, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, सिंगापुर, सऊदी अरब, हांगकांग, थाइलैंड, फिनलैंड, स्विटजरलैंड, नार्वे, इटली और यूएई मेडिकल सहायता भारत भेज रहे हैं।