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इटावा के मुर्दाघर में 3 साल से पड़ा महिला का शव, बन गया कंकाल लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया, हाईकोर्ट सख्त राज्य और पुलिस से इस पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा के मुर्दाघर में महिला का कंकाल होने की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद उस पर स्वत: संज्ञान लिया और अब कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी तलब की है.

इटावा के अस्पताल में एक महिला का शव मॉर्चरी में रखे-रखे कंकाल बन गया लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है. हाईकोर्ट सख्त राज्य और पुलिस से इस पर जवाब मांगा है.

इटावा के मुर्दाघर में एक महिला का तीन साल पुराना कंकाल पड़ा हुआ है. ऐसे में अस्पताल और पुलिस प्रशासन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस महिला का अंतिम संस्कार अब तक क्यों नहीं किया. ये खबर जैसे ही सामने आई उसके बाद हड़कंप मच गया, वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया और अब राज्य सरकार से इस पर रिपोर्ट तलब की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा के मुर्दाघर में महिला का कंकाल होने की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद उस पर स्वत: संज्ञान लिया और अब कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी तलब की है. मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट ने बृहस्पतिवार को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘मीडिया की खबरों में जानकारी दी गई है कि एक महिला का कंकाल पिछले तीन साल से इटावा के मुर्दाघर में पड़ा है.’’

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित है. अदालत ने यह भी कहा कि महिला की पहचान की पुष्टि नहीं की जा सकी है, हालांकि एक परिवार ने दावा किया कि अवशेष उनकी लापता बेटी के हैं.

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डीएनए से साफ नहीं हो सकी स्थिति-

उच्च न्यायलय पीठ ने कहा, ‘‘शव की पहचान को लेकर विवाद है. एक परिवार ने दावा किया है कि उक्त मानव अवशेष उनकी लापता बेटी रीता का है. अखबार के मुताबिक डीएनए रिपोर्ट DNA Report में कोई निर्णायक राय नहीं दी गई है.’’ मीडिया में प्रकाशित खबरों में दावा किया गया है कि परिवार ने कपड़े और कलाई पर बंधे ‘कलावा’ के आधार पर मृतका की पहचान की थी.

राज्य सरकार और पुलिस से मांगा जवाब

अदालत ने राज्य सरकार के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि विस्तृत जानकारी दे कि मुर्दाघर में रखे किसी शव का अंतिम संस्कार कितने समय में किया जाता है और इस मामले में देरी क्यों हुई. महिला का अब तक अंतिम संस्कार क्यों नहीं कराया गया. अदालत ने अधिवक्ता नितिन शर्मा को मामले में सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया और मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर 2023 को सूचीबद्ध कर दी.

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