Tag: COURT ORDER
बॉम्बे उच्च न्यायलय का फैसला बिना सहमति के महिला के पैर छूना उसकी शील भंग करने जैसा अपराध-
औरंगाबाद बेंच – बॉम्बे हाईकोर्ट की ने रात में सोते समय एक महिला के पैर छूने के लिए एक पुरुष को दी गई सजा और एक साल की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा, “किसी महिला की सहमति के बिना [more…]
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय का फैसला पलटा, साथ ही साथ पति के परिजनों को आरोपी बनाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की-
दहेज प्रताड़ना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को पलटते हुए महिला व पुरुष के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी (FIR) में आकस्मिक रूप [more…]
सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण व्याख्या भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, और 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत-
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, और 477A और धारा 13(2) के साथ पठित धारा 13(2) (1)(डी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के के तहत दोषी ठहराए [more…]
मद्रास हाईकोर्ट: डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार “ठीक उसी समय” चार्जशीट दाखिल करने से कभी भी समाप्त नहीं होता-
अदालत ने अभियुक्तों को डिफ़ॉल्ट जमानत के अधिकार का लाभ उठाने के लिए और अदालत के समक्ष चार्जशीट दाखिल करने के लिए जांच एजेंसी के लिए लागू समय की कमी के बारे में लंबे समय से चल रहे भ्रम को स्पष्ट [more…]
राज्य को झकझोर देने वाली एक घटना में सुनवाई कर रहे ‘न्यायमूर्ति’ ने कहा सार्वजनिक आक्रोश और मीडिया की राय उसे न्याय प्रदान करने में प्रभावित नहीं करेगी-
न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, “यह तर्क न दें कि यह समाज के लिए एक संदेश है। उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है, यह सजा नहीं है, यह केवल जांच में सहायता करने के उद्देश्य से है। मैं किसी [more…]
उच्च न्यायालय: धारा 506 IPC संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है अतः कम्प्लेंट केस नहीं चलाया जा सकता-
Allahabad High Court इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में अपना निर्णय देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में, धारा 506 के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती है, इसलिए इसे कम्प्लेंट केस के रूप में नहीं चलाया जा सकता [more…]
बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि फरियादी की एकमात्र गवाही पर परन्तु प्रमाणिकता पर मामला रद्द किया जा सकता-
“बचाव पक्ष का यह कर्तव्य नहीं है कि वह यह बताए कि कैसे और क्यों बलात्कार के मामले में पीड़िता और अन्य गवाहों ने आरोपी को झूठा फंसाया है। अभियोजन पक्ष को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ता है और बचाव [more…]
इलाहाबाद हाई कोर्ट में साल 2022 से होगी मुकदमों की E-Filing-
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने का देश के सभी हाईकोर्ट को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के क्रम में हाईकोर्ट ने सरकारों को केसों को E-Filing मोड से करने को कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में आगामी [more…]
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुर्घटना में मारे गये युवक के मामले में बीमा कंपनी को दिया 33 लाख 50 हजार रुपए मुआवजा देने का निर्देश-
अधिकरण ने दो लाख 30 हजार 400 रुपये आठ फीसदी ब्याज सहित मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया था। मामले के तथ्यों के अनुसार 20 जुलाई 2004 को अभिषेक की दिल्ली-रायबरेली सड़क पर दुर्घटना में मौत हो गई। जिसके कारण मुआवजे [more…]
डबवाली अग्निकांड पीड़ित विनोद बांसल की जुबानी, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने हमें बुलाया, बोले-आपका केस मैं ही सुनूंगा
1996 में अग्निकांड पीड़ित ने पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में पीआइएल फाइल हुई। अग्निकांड पीडि़त विनोद बांसल की जुबानी… 15 जनवरी 2003 की तारीख कभी नहीं भूल सकता। जब चीफ जस्टिस विनोद राय ने कह दिया कि इलाज हो गया है [more…]