Bulldozer Action पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कारण बताओ नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं

न्यायमूर्ति गवई ने बुलडोजर एक्शन Bulldozer Action मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे रातभर सकड़ों पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है। पीठ ने निर्देश दिया कि कारण बताओ नोटिस Show Cause Notice दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए और नोटिस जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए।

सर्वोच्च न्यायालय Supreme Court ने कहा, मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं। घर बनाना संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर Right to Shelter मौलिक अधिकार Fundamental Rights है। शीर्ष अदालत Supreme Court ने आगे कहा कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है।

बुलडोजर एक्शन Bulldozer Action पर सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि आरोपी या दोषी का घर नहीं गिराया जा सकता है, यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने अपने फैसले की शुरुआत में कहा- ‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे।’

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि लोगों के घर सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा।

सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने दो टूक कहा कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते। बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है। हिंदी के मशहूर कवि प्रदीप ने इसे इस तरह से कहा है। घर सुरक्षा परिवार की सामूहिक उम्मीद है। क्या कार्यपालिका को किसी आरोपी व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा छीनने की अनुमति दी जा सकती है? यह हमारे सामने एक सवाल है।’

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कोर्ट ने कहा कि मामले का दायरा सीमित है, मुद्दा यह है कि क्या किसी अपराध के आरोपी या दोषी होने पर संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है? एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है।

क्या हो सकता है क्या नहीं?

  • सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है। राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता।
  • बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है।
  • निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
  • कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा।
  • कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है। चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है।
  • आरोपी और यहां तक ​​कि दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है। कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है।
  • संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है।
  • अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है।
  • अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
  • अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता।
  • स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले घर को गिराने पर विचार करते वक्त यह देखना चाहिए कि नगरपालिका कानून में क्या अनुमति है। अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य हो सकता है या घर का केवल कुछ हिस्सा ही गिराया जा सकता है।
  • अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना अवैध है और अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना नहीं है
  • नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी।
  • डिजिटल पोर्टल 3 महीने में बनाया जाना चाहिए, जिसमें नोटिस की जानकारी और संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई गई है।
  • व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख जरूर दी जानी चाहिए।
  • आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है।
  • केवल तभी इमारत गिराई जा सकती है, जब अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क/रेलवे ट्रैक/जल निकाय पर हो। इसके साथ ही प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही इमारत गिराई जा सकती है
  • केवल वे संरचनाएं ध्वस्त की जाएंगी, जो अनाधिकृत पाई जाएंगी और जिनका निपटान नहीं किया जा सकता।
  • अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा।
  • अनाधिकृत संरचनाओं को गिराते वक्त विस्तृत स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। पुलिस और अधिकारियों की मौजूदगी में तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। यह रिपोर्ट पोर्टल पर पब्लिश की जाएगी।
  • अगर घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए।
  • बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है
  • घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा।
  • नोटिस से 15 दिनों का वक्त नोटिस तामील होने के बाद है।
  • तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी।
  • कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।
  • प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा, रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा।
  • आदेश के 15 दिनों के अंदर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का मौका दिया जाएगा।
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सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।

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