Tag: COURT ORDER
अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति, साक्ष्य का कमजोर टुकड़ा है, खासकर जब परीक्षण के दौरान मुकर गया: SC ने हत्या के मामले में आदमी को बरी किया
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि अतिरिक्त न्यायिक स्वीकारोक्ति सबूत का एक कमजोर टुकड़ा है, खासकर जब मुकदमे के दौरान इसे वापस ले लिया गया हो। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति [more…]
कॉलेजियम पर अपनी चिंता दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसका मतलब यह नहीं कि ‘बार एक अलग गेंद का खेल है और बेंच एक अलग खेल’
न्यायाधीशों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, भले ही वे वकीलों के रूप में जो भी विचार रखते हों। कॉलेजियम की सिफारिशों पर कार्रवाई करने में देरी और जजों की नियुक्ति से जुड़े मामले की [more…]
महिला जज से बदसलूकी पर हाईकोर्ट गम्भीर, कहा ये तो न्यायतंत्र को खतरे में डाल देगा : वकील का किसी भी कोर्ट में वकालत करने पर प्रतिबंध
उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला जज को लगातार अपमानित करना और धमकी देना गंभीर मामला है । इससे कड़ाई से नहीं निपटा गया तो न्याय तंत्र समाप्त हो जाएगा। हाई कोर्ट ने एसएसपी बुलंदशहर को महिला जज की सुरक्षा करने [more…]
आदेश कोर्ट का, कुर्क हो गई SDM की गाड़ी, किसान को मिलेगा मुआवजा
मध्य प्रदेश के शिवपुरी के पोहरी में कोर्ट के आदेश पर एसडीएम SDM की सरकारी गाड़ी कुर्क कर ली गई. कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है. प्रस्तुत मामला 2014-2015 का है. उस समय अपर [more…]
घटना के 18 वर्ष बाद पता चला कि दोषी उस दौरान नाबालिग था, हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा को किया ख़ारिज
1999 में हुए हत्याकांड के एक मामले में वर्ष 2004 में दोषी को सुनाई गई उम्रकैद के कारावास की सजा को दिल्ली उच्च न्यायलय ने 18 वर्ष बाद रद्द कर दिया। अपीलकर्ता ने घटना के दौरान नाबालिग होने की दलील दी [more…]
जमानत पर फैसला करते समय अदालतों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समाज के बड़े हित के बीच संतुलन बनाना जरूरी : हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में देखा कि जमानत के सवाल का फैसला करते समय, अदालतों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समाज के व्यापक हित के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखना चाहिए। जस्टिस वीरेंद्र सिंह की बेंच ने कहा- [more…]
हत्या के केस में – सिर की चोट महत्वपूर्ण, सिर्फ फ्रैक्चर नहीं होने से मामला SEC 302 IPC से बाहर नहीं किया सकता: सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायलय SUPREME COURT ने एक मामले में हत्या के आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि केवल यह तथ्य कि कोई फ्रैक्चर नहीं देखा और/ या पाया नहीं गया था, मामले को इंडियन पीनल कोड IPC की धारा 302 से [more…]
‘फाइल ऑर्डरशीट’ से विदित है कि न्यायिक कार्यों के निर्वहन में उन्हें अनुचित कार्य करने की ‘आदत’ है: इलाहाबाद HC ने जिला न्यायाधीश, वाराणसी को किया तलब
इस न्यायालय के समक्ष ‘अनुच्छेद 227’ नंबर 7629 2021 के तहत मामला दायर किया गया था और जिला जज से रिपोर्ट तलब की गई थी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सामान्य प्रक्रिया से हटकर वाराणसी के जिला न्यायाधीश को पीठ द्वारा निर्धारित [more…]
धारा 376 आईपीसी: एक बार अदालत अभियोक्त्री के बयान पर विश्वास कर लेती है तो, एफएसएल को जब्त सामान भेजने में विफलता महत्वहीन है- सुप्रीम कोर्ट
बलात्कार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बार जब अदालत पीड़िता के बयान पर विश्वास कर लेती है, तो जब्त की गई वस्तुओं को फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजने में पुलिस की विफलता का कोई महत्व नहीं [more…]
[भारतीय संविधान अनुच्छेद 141] उच्च न्यायालयों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे हमारे निर्णयों पर उचित सम्मान के साथ विचार करें: उच्चतम न्यायालय
यह मानते हुए कि उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय का अधीनस्थ न्यायालय नहीं है, शीर्ष न्यायालय ने हाल ही में एक मामले में अपनी राय दी है। “हालांकि, जब उच्च न्यायालय इस न्यायालय के निर्णयों से निपटता है, जो ‘भारत के संविधान [more…]