लखनऊ के आरोह ने ठाना “वैदिक घड़ी” के संकल्पना और महत्व को पूरे भारतवर्ष को है बताना-

मध्यप्रदेश इन्दौर के सांसद मा० श्री शंकर लालवानी जी ने वैदिक घड़ी बनाकर साइकिल पर सवार 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन पर जा रहे आरोह श्रीवास्तव का किया स्वागत।

गोमती नगर के 28 वर्षीय आरोह श्रीवास्तव

लखनऊ : गोमती नगर के 28 वर्षीय आरोह श्रीवास्तव ने यह ठान लिया है कि वह समस्त भारत और विश्व को वैदिक घड़ी के स्वरूप एवं महत्व के बारे में बताएंगे. इसी क्रम में लोगों को जागरूक करने हेतु आरोह 19 नवंबर से साइकिल द्वारा भारत भ्रमण पर निकले हुए हैं.

शनिवार को वह मध्यप्रदेश के इंदौर पहुंचे और वहां स्थानीय सांसद श्री शंकर लालवानी जी से मुलाकात की और उनसे मिलकर और उन्हें वैदिक घड़ी की संकल्पना और उसके महत्व के बारे में बताया. उन्होंने बताया दैनिक घड़ी का सिद्धांत कोई नया नहीं है. वैदिक घड़ी का उल्लेख हमारे ऋग्वेद में मिलता है. आज से पहले जब समय की गणना नहीं थी तो तब भी भारत वैदिक घड़ी के माध्यम से समय मुहूर्त काल आज की गणना सरलता सुगमता से कर लेता था.

आइए जाने क्या है वैदिक घड़ी

वैदिक समय का वर्णन ऋग्वेद में विस्तार से दिया गया है. वैदिक समय सूर्योदय के अनुसार शुरू होता है. सूर्योदय के समय की गणना 0 से आरंभ की जाती है. इसे इस वैदिक घड़ी के द्वारा पूरे सूर्योदय के कालखंड को 30 मूर्तियों में विभाजित किया जाता है. ठीक उसी प्रकार जैसे घड़ी संपूर्ण दिन के कालखंड को 24 घंटे में बांटती है.

जानकारी हो कि आरोह श्रीवास्तव अब तक करीब 1000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर चुके हैं. वर्तमान में वह इंदौर से उज्जैन, ओमकारेश्वर, अमरावती, हैदराबाद, मल्लिकार्जुन, रामेश्वरम आदि स्थानों पर जाएंगे और वहां लोगों को वैदिक घड़ी के महत्व और उसकी संरचना संचालन के बारे में बताएंगे.

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