बाल संरक्षण संस्थानों के बच्चों की शिक्षा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट ’ ने दिए दिशा-निर्देश.

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बाल संरक्षण संस्थानों से अपने परिवार को सौंप दिये गये बच्चों की शिक्षा की जरूरतें पूरी करने के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह दिये जाने सहित कई दिशा-निर्देश मंगलवार को जारी किये। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे बच्चों की शिक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये। न्यायालय का यह दिशा-निर्देश बाल संरक्षण गृहों में कोविड-19 महामारी के परिप्रेक्ष्य में स्वत: संज्ञान मामले में जारी किया।

न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकार एक महीने के अंदर बाल देखभाल संस्थानों को आॅनलाइन क्लास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, स्टेशनरी, किताबें और अन्य उपकरण उपलब्ध करायें। पीठ ने राज्यों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि बाल संरक्षण केंद्रों में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की आवश्यक संख्या उपलब्ध होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोरोना महामारी की शुरुआत के वक्त बाल संरक्षण केंद्रों में दो लाख 27 हजार 518 बच्चे थे और अब करीब एक लाख 45 हजार 788 बच्चों को उनके परिवारों या अभिभावकों को सौंप दिया गया है। राज्यों को उनकी पढ़ाई के लिए हर महीने दो हजार रुपये देने होंगे। राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली यह राशि बच्चों के परिवारों की वित्तीय स्थिति के मद्देनजर जिला बाल संरक्षण इकाई की सिफारिश पर दी जानी चाहिए

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