देश में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता, ‘सुप्रीम’ सुनवाई में VVPAT मामले में SC ने सुरक्षित रखा फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में उस समय का भी जिक्र किया, जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे और मतपेटियां लूट ली जातीं थी।
  • कोर्ट ने कहा था कि देश में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में हमें सिस्टम को पीछे की तरफ नहीं ले जाना चाहिए।
  • हमें चुनावी प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए और इसे पीछे की तरफ से नहीं खींचना चाहिए।

पिछली सुनवाई पर भी सुप्रीम कोर्ट पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह से कहा था कि वह कोर्ट को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए, जिसमें ईवीएम के काम करने, उसे स्टोर करने संबंधी सारी जानकारी दें। कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से ये भी पूछा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ के दोषी को सजा का क्या प्रावधान है?

शीर्ष अदालत में गुरुवार को वीवीपैट से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने ईवीएम वोटों की वीवीपैट पर्चियों से 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है। इसमें पवित्रता होनी चाहिए। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ संभावनाएं बनती हैं, वह नहीं किया जा रहा है।

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वीवीपैट के साथ डाले गए वोटों के सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने मौजूद ईसीआई अधिकारी ने ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली के बारे में बताया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की आलोचना करने वालों की निंदा की थी।

कोर्ट ने कहा था कि देश में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में हमें सिस्टम को पीछे की तरफ नहीं ले जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में उस समय का भी जिक्र किया, जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे और मतपेटियां लूट ली जातीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कही थी ये बात-

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ एडीआर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की थी। दरअसल, याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में डाले जाने वाले वोट का सौ फीसदी वीवीपैट मशीन के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाए, ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने सही वोट दिया है।

याचिका में कहा गया कि कई यूरोपीय देश भी ईवीएम का इस्तेमाल कर फिर से बैलेट पेपर से मतदान पर लौट चुके हैं। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि देश में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता।

पीठ ने क्या-क्या कहा था?

पीठ ने कहा कि आप जर्मनी की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां की जनसंख्या क्या है। मेरे गृहराज्य बंगाल में भी जर्मनी से ज्यादा जनसंख्या है। हमें चुनावी प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए और इसे पीछे की तरफ से नहीं खींचना चाहिए।

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पीठ ने कहा कि भारत में करीब 98 फीसदी पंजीकृत मतदाता हैं। वोटों की गिनती में कुछ गड़बड़ी हो सकती है, जिसे दूर किया जा सकता है।

जस्टिस खन्ना ने कहा कि हमने वो वक्त भी देखा है, जब ईवीएम नहीं थी। हमें ये बताने की जरूरत नहीं है कि उस समय क्या होता था।’ उन्होंने कहा कि किसी प्रक्रिया में इंसानों के दखल से समस्या होती है और पक्षपात होने की आशंका होती है, लेकिन मशीनें बिना किसी इंसानी दखल के सही तरीके से काम करती हैं।

चुनाव आयोग से पूछा था सवाल-

पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह से कहा कि वह कोर्ट को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए, जिसमें ईवीएम के काम करने, उसे स्टोर करने संबंधी सारी जानकारी दें। कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से ये भी पूछा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के दोषी को सजा का क्या प्रावधान है?

याचिकाओं में क्या दावा?

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक उसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कई याचिकाकर्ताओं ने अपने विचार अदालत के सामने रखे थे।

मैग्जीन द्वारा रिपोर्ट छापे जाने का दिया हवाला-

चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से संबंधित जानकारी देनी शुरू की। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि केरल के कासरगोड में मॉक पोल हुआ था। 4 ईवीएम और वीवीपैट में भाजपा के लिए एक अतिरिक्त वोट दर्ज हो रहा था. एक मैग्जीन ने यह रिपोर्ट छापी थी।

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वही एक और याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी पर्चियों के मिलान की सूरत में चुनाव आयोग मतगणना में 12-13 दिन लगने की बात कह रहा है। ये दलील गलत है। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है।

SC ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है?

चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता। यह एक फर्मवेयर है। मतलब की सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है और इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता। पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं। राजनीतिक दलों के नुमाइंदों की मौजूदगी में उन्हें लॉक किया जाता है।

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